Delhi Politics: मुफ्त की रेवड़ी बांटने की होड़ में हुई इंडी की चिंदी, यहां पढ़ें

मुफ्त में देने के चुनावी वायदे कैसे सरकारी खजाने पर भारी पड़ रहे हैं, इसका जीता-जागता उदाहरण है कर्नाटक राज्य। 

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-नरेश वत्स

Delhi Politics: राजनीतिक पार्टियों (Political Parties) चुनाव जीतने के लिए वादों की बौछार तो कर देती हैं, लेकिन इसका बोझ सरकारी खजाने पर पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भी कहा था कि टैक्स पेयर के पैसे का इस्तेमाल कर बांटी जा रही मुफ्त की रेवड़ियां (Freebies) सरकार को दिवालियापन की ओर धकेल सकती है।

इतना ही नहीं, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कई राज्य सरकारें मुफ्त की योजनाओं पर जमकर खर्च कर रही हैं, जिससे वह कर्ज के जाल में फंसती जा रही हैं । रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में कैग के हवाले से बताया है कि राज्य सरकारों का सब्सिडी पर खर्च (Spending on Subsidy) लगातार बढ़ रहा है । रिपोर्ट में कहा गया है कि अब राज्य सरकारे सब्सिडी की बजाय मुफ्त ही दे रही है। ये फ्री बिजली, फ्री पानी ,फ्री यात्रा, बिल माफी और कर्ज माफी आदि योजनाओं को लागू करके फ्री दे रही हैं।

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कर्नाटक की आर्थिक स्थिति बिगड़ी
मुफ्त में देने के चुनावी वायदे कैसे सरकारी खजाने पर भारी पड़ रहे हैं, इसका जीता-जागता उदाहरण है कर्नाटक राज्य।  चुनाव के समय कांग्रेस ने जो पांच गारंटी दी थी, उन्हें पूरा करने के लिए 40 हजार करोड़ रुपए अलग रखे गए हैं। इसलिए कर्नाटक सरकार नए डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए पैसा नहीं दे पा रही है। राज्य कमाई कम और खर्चा ज्यादा की तर्ज पर काम कर रहे हैं और खर्च को पूरा करने के लिए कर्ज ले रहे हैं।

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5.35 लाख करोड़ का कर्ज
आर्थिक जानकारों का कहना है कि खर्च और कर्ज को सही तरीके से मैनेज नहीं किया गया तो हालात ऐसे हो जाएंगे कि फिर ना तो खर्च करने लायक रहेंगे और ना ही कर्ज लेने लायक। उदाहरण के तौर पर कर्नाटक का सब्सिडी पर खर्च चार वर्ष में 12 प्रतिशत तक बढ़ गया है। इतना ही नहीं, 5 साल में ही कर्नाटक का कर्ज 87 प्रतिशत बढ़ गया है। मार्च 2019 तक कर्नाटक पर 2.86 लाख करोड़ रुपए का कर्ज था, जो मार्च 2023 तक बढ़कर 5.35 लाख करोड़ रुपए हो गया।

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कांग्रेस-आप में भी होड़
मुफ्त की रेवड़ी संस्कृति के जनक दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के बुजुर्गों को अब हर माह 2500 रुपए देने का ऐलान किया है । 2015 में दिल्ली में 3.32 लाख बुजुर्गों को पेंशन मिलती थी, तब से अब तक 1025 लाख और बुजुर्ग पेंशन होल्डर बने हैं। 80 हजार और सीनियर सिटीजन ओल्ड एज पेंशन पाने वाले की सूची से जुड़ेंगे। इस समय दिल्ली में वृद्धावस्था पेंशन पाने वालों की तादाद 5.3 लाख हो जाएगी। दिल्ली सरकार के 2500 पेंशन देने की घोषणा के बाद 24 घंटे के अंदर ही 10 हजार आवेदन आ गए। इससे वृद्धावस्था पेंशन के प्रति लोगों के क्रेज का अनुमान लगाया जा सकता है।

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केजरीवाल ने शुरू की पंरपरा
देश में लोक कल्याण के लिए राज्य सरकार पहले भी योजनाएं चलाती रही हैं लेकिन सीधे-सीधे मुफ्त की आदत सबसे पहले आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में डाली। कांग्रेस ने चुनावी लाभ के लिए मुफ्त योजनाओं की गारंटी की शक्ल दे दी। हिमाचल प्रदेश ,कर्नाटक में कांग्रेस ने इन्हीं गारंटियों के कारण चुनाव जीते हैं। कर्नाटक में गारंटी पूरा करने के चक्कर में सरकार का खजाना खाली हो गया है। हिमाचल में तो वेतन, पेंशन भुगतान का संकट खड़ा हो गया है।

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खड़गे की सलाह की अनसुनी
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अब पार्टी के प्रदेश इकाइयों को चेतावनी दी है कि जनता को ऐसी गारंटी ना दें, जिन्हें पूरा करना संभव ना हो। इसके बावजूद मुफ्त की रेवड़ियां बांटने का सिलसिला जारी है । भाजपा मुफ्त की रेवड़ी बांटने से परहेज करती रही है, पर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, महाराष्ट्र के अलावा झारखंड में भाजपा ने मुफ्त योजनाएं देने का संकल्प चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किया है।

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कांग्रेस केजरीवाल से आगे
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 200 यूनिट तक दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं से कोई भी चार्ज नहीं लेती। 200 यूनिट से ज्यादा बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को 400 यूनिट तक 4. 50 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से बिल देना होता है। इसके बाद, प्रत्येक यूनिट के लिए 6.50 रुपए का शुल्क देना होता है। जबकि 400 यूनिट से अधिक बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं से 800‌ रुपए अतिरिक्त शुल्क लिया जाता है। लेकिन अब कांग्रेस ने दिल्ली वालों को 400 यूनिट तक फ्री देने का ऐलान किया है।

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आपस सरकार की योजना
दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने 2024 25 के लिए भी मुफ्त बिजली सब्सिडी योजना जारी रखने का फैसला किया है। आतिशी सरकार ने सोलर नीति के तहत घर की छत पर सोलर पैनल लगाने वाले लोगों को मुफ्त बिजली देने का फैसला किया है। इससे उद्योग धंधे चलने वाले लोगों को भी फायदा होगा। कमर्शियल यूनिट पर सोलर पैनल लगाने पर बिजली बिल आधा हो सकता है। सवाल खड़ा हो रहा है की मुफ्त रेवड़ी बांटने की राजनीति कहां तक जाएगी?

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