अश्वनी राय
Development and legacy: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) भारतीय राजनीति में नित नये अध्याय लिख रहे हैं। इन्हीं अध्यायों में एक अध्याय है विकास और विरासत का। पहले की सरकारों में भी राष्ट्रीय धरोहरों (national heritages) को लेकर काम होते रहे हैं। लेकिन उसका रूप आज जितना मुखर नहीं दिखता था। इसके उलट मोदी और योगी के शासन ने देश के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासतों को देश की मुख्यधारा से जोड़ दिया है। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद (cultural nationalism) का जो स्वरूप और पैमाना आज दिख रहा है। वह पहले कभी नहीं दिखा। यहां तक कि भाजपा शासन में भी नहीं ।
प्रस्तुतीकरण की कुशलता से राष्ट्रवाद का सार्वभौमीकरण
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उद्घोष रहा है। आरएसएस की सोच से निकली भारतीय जनता पार्टी की सरकार में मोदी-योगी से पहले सांस्कृतिक राष्ट्रवाद इतनी स्पष्टता से सरकारी नीतियों का हिस्सा नहीं बन पाया था। केंद्र में भाजपा की पहली सरकार अटल बिहारी बाजपेई के नेतृत्व में बन गई थी । लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी हों या अन्य शीर्ष भाजपा नेता, सबमें एक संकोज सा दिखता था। मोदी-योगी के राष्ट्रवाद (nationalism) की सबसे बड़ी सफलता प्रस्तुतीकरण की कुशलता से निकली है। इन दोनों नेताओं ने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को राष्ट्रीय गौरव का जो रूप दिया है, उससे भारी जन समुदाय जुड़ता जा रहा है।
विरासत के साथ-साथ विकास
पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग पहुंचे थे। मौका था ‘नौसेना दिवस 2023’ का समारोह। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “विरासत के साथ-साथ विकास, यही विकसित भारत का हमारा मार्ग है।” प्रधानमंत्री ने कहा, “सिंधुदुर्ग किला भारत के प्रत्येक नागरिक में गर्व की भावना पैदा करता है”, उन्होंने किसी भी राष्ट्र की नौसैनिक सामर्थ्य का महत्व पहचानने में शिवाजी महाराज की दूरदर्शिता पर जोर दिया।
भारतीय सामर्थ्य का गौरवशाली अध्याय
शिवाजी महाराज की इस उद्घोषणा को दोहराते हुए कि जिनका समुद्र पर नियंत्रण है, वे ही अंतिम शक्ति रखते हैं, प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने एक शक्तिशाली नौसेना का मसौदा तैयार किया था। यह केवल गुलामी, पराजयों और निराशाओं की बात नहीं है, बल्कि इसमें भारत की विजय, शौर्य, ज्ञान और विज्ञान, कला और सृजन कौशल और भारत की समुद्री सामर्थ्य के गौरवशाली अध्याय भी शामिल हैं। सिंधुदुर्ग जैसा किला तब बनाया गया था जब तकनीक और संसाधन न के बराबर थे।
गुलामी की मानसिकता से आगे बढ़ रहा आज का भारत
मोदी ने कहा, छत्रपति शिवाजी महाराज के आदर्शों से प्रेरित होकर आज का भारत गुलामी की मानसिकता को त्यागकर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने खुशी व्यक्त की कि नौसेना अधिकारियों द्वारा पहने जाने वाले एपोलेट्स में अब छत्रपति वीर शिवाजी महाराज की विरासत की झलक दिखाई देगी क्योंकि नए एपोलेट्स नौसेना के ध्वज के समान होंगे।
आज इतिहास से प्रेरणा ले रहा देश
प्रधानमंत्री ने कहा कि संकल्पों, भावनाओं और आकांक्षाओं की एकता के सकारात्मक परिणामों की झलक दिखाई दे रही है। क्योंकि विभिन्न राज्यों के लोग ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना से प्रेरित हो रहे हैं। उन्होंने कहा, “आज देश इतिहास से प्रेरणा लेकर उज्ज्वल भविष्य का रोडमैप तैयार करने में जुटा है। लोगों ने नकारात्मकता की राजनीति को पराजित कर हर क्षेत्र में आगे बढ़ने का संकल्प लिया है। यह प्रतिज्ञा हमें विकसित भारत की ओर ले जाएगी”। , प्रधानमंत्री ने खोए हुए गौरव को पुनः प्राप्त करने पर जोर दिया।
योगी की धार्मिक-सांस्कृतिक प्रतिबद्धता
इसी तरह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रयाग का कुंभ स्नान हो या अयोध्या में दीपावली का प्रसंग, निःसंकोच भाव से इन आयोजनों को गरिमामय बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। योगी शासन से पहले के कुंभ की व्यवस्थाओं और योगी काल की व्यवस्थाओं को देखकर सांस्कृतिक और धार्मिक उत्थान के प्रति सीएम योगी की प्रतिबद्धता को समझा जाता जा सकता है। अयोध्या में दीपोत्सव पर हर साल एक साथ दीए जलाने का नया विश्व रिकॉर्ड बनता जा रहा है। इस साल अयोध्या में सरजू नदी के किनारे अलग-अलग घाटों पर 22 लाख 23 हजार दीये जलाये गये। योगी आदित्यनाथ की इन पहलों के मायने काफी दूरगामी सिद्ध होने वाले हैं। मोदी और योगी का राष्ट्रवाद निश्चित रूप से भविष्य में लंबे समय तक एकता और स्वाभिमान के पथ पर प्रेरित करने वाला साबित होगा।
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