Rajya Sabha: कांग्रेसियों ने सावरकर के बारे में क्या- क्या कहा, मैं नहीं कह सकता। किसी भी राजनीतिक दल ने उन्हें नायक की उपाधि नहीं दी। यह उपाधि 140 करोड़ लोगों को उनकी वीरता के कारण प्रदान की है।
तुजसाठी मरण ते जनन, तुजवीण जनन ते मरण(तुम्हारे लिए मरना, तुम्हारे लिए जीना),जिनके मुंह से देशभक्ति के शब्द निकले, उनके बारे में कांग्रेसी ऐसे ही बोलते हैं। क्या वीर सावरकर का ऐसा कहना गर्व की बात नहीं है? क्या देश के लिए बलिदान को किसी धर्म से जोड़ा जा सकता है? देशभक्ति, वीरता, समर्पण को धर्म, विचारधारा से न जोड़ें। बलिदान तो बलिदान है। हम देश के सार्वजनिक जीवन को किस स्तर पर ले गए हैं? संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष से यह सवाल पूछा।
इंदिरा गांधी के पढ़े पत्र
इस मौके पर अमित शाह ने इंदिरा गांधी द्वारा प्रधानमंत्री रहते हुए स्वातंत्र्यवीर सावरकर की प्रशंसा का हवाला दिया। अमित शाह ने सदन में उनका लिखा पत्र पढ़ा। उन्होंने कहा, “इंदिरा गांधी ने 1966 में वीर सावरकर की मृत्यु के बारे में बात की थी, जब वह प्रधान मंत्री थीं। सावरकर एक महान व्यक्ति थे। उनका नाम साहस और देशभक्ति का प्रतीक है। वह एक महान क्रांतिकारी थे, जिन्होंने अनगिनत लोगों की मदद की।”
बाद में बाखले को लिखे पत्र में इंदिरा गांधी कहती हैं कि ब्रिटिश सरकार के प्रति वीर सावरकर के साहसी विरोध का स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। मैं भारत के इस असाधारण सपूत की जन्मशती पर अपनी शुभकामनाएं देती हूं।”
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वीर सावरकर की दिल खोलकर की प्रशंसा
अमित शाह ने वीर सावरकर का वर्णन करते हुए कहा कि 1857 से 1947 तक आजादी की लड़ाई के दौरान अगर किसी को दो बार जेल हुई तो वह वीर सावरकर हैं। देश की आजादी के लिए यदि कोई शौचालय तोड़कर समुद्र में कूद गया तो वह वीर सावरकर हैं। 2 भाई एक ही जेल में काले पानी की सजा काट रहे थे। उन्होंने 10 साल में एक बार भी एक-दूसरे को नहीं देखा। मैंने ऐसा देशभक्त नहीं देखा।