द्रौपदी मुर्मू ने संसद भवन के केंद्रीय सभागार में देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद की शपथ ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना उन्हें 15वें राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। राष्ट्रपति मुर्मू ने हिन्दी में शपथ लेने के बाद पुस्तिका में हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही वह देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति बन गईं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शपथ लेने के बाद पहली बार संसद को संबोधित करते हुए कि राष्ट्रपति के रूप में उनका चुनाव करोड़ों भारतीयों के विश्वास का प्रतिबिंब है। ये हमारे लोकतंत्र की ही शक्ति है कि उसमें एक गरीब घर में पैदा हुई बेटी, दूर-सुदूर आदिवासी क्षेत्र में पैदा हुई बेटी, भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच सकती है। राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, ये भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है। मेरा निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब सपने देख भी सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है।
संबोधित करते हुए कही ये बात
राष्ट्रपति ने देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर निर्वाचित करने के लिए सभी सांसदों और सभी विधानसभा सदस्यों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आपका मत देश के करोड़ों नागरिकों के विश्वास की अभिव्यक्ति है। मुझे राष्ट्रपति के रूप में देश ने एक ऐसे महत्वपूर्ण कालखंड में चुना है जब हम अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। आज से कुछ दिन बाद ही देश अपनी स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे करेगा।
मेरा बहुत बड़ा सौभाग्य
राष्ट्रपति ने कहा कि ये भी एक संयोग है कि जब देश अपनी आजादी के 50वें वर्ष का पर्व मना रहा था, तभी मेरे राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी। और आज आजादी के 75वें वर्ष में मुझे ये नया दायित्व मिला है। उन्होंने कहा कि ऐसे ऐतिहासिक समय में जब भारत अगले 25 वर्षों के विजन को हासिल करने के लिए पूरी ऊर्जा से जुटा हुआ है, मुझे ये जिम्मेदारी मिलना मेरा बहुत बड़ा सौभाग्य है।
ये हस्तियां रहीं उपस्थित
समारोह में उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मंत्रिपरिषद के सदस्य, राज्यपालगण, मुख्यमंत्रीगण, राजनयिक मिशनों के प्रमुख, संसद सदस्यगण, सैन्य अधिकारी और गण्यमान्य अतिथि उपस्थित रहे।