फडणवीस ने बताई वो राज की बात! किसके प्रस्ताव पर एकनाथ शिंदे बने मुख्यमंत्री?

उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस नागपुर में थे। गृहक्षेत्र में उनका भव्य स्वागत किया गया। इस बीच नागपुर प्रेस क्लब ने स्वागत किया।

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नागपुर प्रेस क्लब में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने युति सरकार के गठन के कई राज खोले। फडणवीस ने बताया कि महाविकास आघाड़ी सरकार के गठन के पहले ही दो महीने में पता चल गया था कि, शिवसेना विधायकों में असमंजस है। इसी से एक असंतोष उभरा परंतु, यह विद्रोह नहीं था। जब इसे बहुत सारे विधायकों का समर्थन मिला तो भाजपा ने इसका साथ दिया। एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव यहां से मैंने भेजा था।

अनैसर्गिक गठबंधन के कारण शिवसेना विधायक कहते थे कि, कार्य नहीं हो रहे हैं, हम बालासाहेब के विचारों से हट रह हैं, हम क्या लेकर मतदाताओं के बीच जाएंगे? इसी के कारण शिवसेना में एक असंतोष उभरा और हमने उसका साथ दिया। शिवसेना के दो तिहाई से अधिक विधायक इसी असंतोष के कारण अलग हुए। जब सरकार गठन करने जा रहे थे, तो एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्र बनें इसका पहला प्रस्ताव मैंने भेजा था। मेरा विचार था कि, मैं बाहर से बैठकर सरकार को पूरी सहायता करूं, परंतु, जब दिल्ली से प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा और अमित शाह ने मुझसे सरकार में सम्मिलित होकर कार्य करने को कहा तो, मैंने इसे स्वीकार कर लिया।

उनकी सबसे बड़ी सहायता मिली
शिवसेना विधायकों के असंतोष को देखते हुए जब मैंने सहायता की तो उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी नड्डा का प्रबल मार्गदर्शन और सहयोग मिला। लेकिन, इसके साथ ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जो सहायता की वह बहुत सहायक है। उनका योगदान बहुत बड़ा है। इसके कारण हमें कहीं कोई दिक्कत ही नहीं महसूस हुई।

तो भगवान ही शिवसेना के मालिक
चालिस विधायकों ने कई बार बताया कि उन पर अलग होने की स्थिति क्यों आई है। विधान सभा में विश्वास मत पारित होने के समय गुलाबराव पाटील ने और उसके बाद स्वत: मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी बताया कि, किसके कारण शिवसेना की यह परिस्थिति आई है। अब कौन शिवसेना समाप्त कर रहा है, यह माननीय उद्धव जी के अब बी ध्यान में नहीं आया होगा तो भगवान ही उनके मालिक हैं।

शिवसेना का धनुष बाण किसे मिले?
शिवसेना बालासाहेब के विचारों का एक पक्ष है और बालासाहेब के विचारों की शिवसेना एकनाथ शिंदे की ही है, उद्धव ठाकरे जी बालासाहेब के पुत्र हैं, उनके पास बालासाहेब की विरासत है, इसलिए मैं इस पर आगे कुछ नहीं बोलूंगा।

उद्धव ठाकरे के लिए आदर
मैं उद्धव ठाकरे आदर करता हूं। वे बड़े हैं, उनके विचार अलग हो सकते हैं। परंतु, निजी रूप से हम एक अच्छे मित्र हैं और उसका सम्मान करते हैं।

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मंत्रिमंडल विस्तार जल्द ही
राजनीतिक उठापटक की स्थिति में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और मुझे नागपुर आने का समय नहीं मिला था। इसलिए जब हमारी सरकार ने विश्वास मत प्राप्त कर लिया तो मुख्यमंत्री सोमवार को ठाणे गए और मैं नागपुर आया हूं। इस सभी के चक्कर में हमें साथ बैठकर मंत्रणा का समय नहीं मिल पाया है। अगले एक दो दिन में हम बैठकर इस पर निर्णय ले लेंगे।

हां हम रिक्शावाला, भाजवाला, टपरीवाला हैं!
इस देश में सभी स्वाभिमान से जीते हैं। हां, हम सभी रिक्शावाला, टपरीवाला, सड़क पर रेहाड़ी लगानेवाला हैं, यह देश उन्हीं का है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कांग्रेसवालों ने चायवाला कहा था, वही मोदी जी ने कांग्रेस की ऐसी परिस्थिति कर दी है कि, उन्हें पानी भी ढूंढने पर नहीं मिल रहा है। जो सोने के चमचे में खाकर बड़े होते हैं, वह जान लें कि मोदी जी के राज्य के सामान्य व्यक्ति ही राज करेगा।

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