वो मिले और राऊत के हमले! क्या ये सत्ता परिवर्तन के संकेत?

राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले केंद्रीय मंत्री अमित शाह और शरद पवार की अहमदाबाद में मुलाकात हुई है।

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पिछले कई दिनों से महाराष्ट्र देश की राजनीति में सुर्खियों में है। तीन पहिये की महाविकास आघाड़ी सरकार को लेकर जहां सरकार में शामिल तीनों पार्टियां अपने कार्यकाल पूरा करने का दावा करती रही हैं, वहीं विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी इस सरकार को अपने कर्मों से गिरने की भविष्यवाणी कर रही है। लेकिन अब एक बार फिर दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र की गली की राजनीति में महाविकास आघाड़ी सरकार के गिरने की चर्चा गरम है। इस बार इसके पीछे ठोस कारण है। पिछले कुछ दिनों से शिवसेना सांसद संजय राऊत द्वारा दिए जा रहे बयानों को अगर शरद पवार और अमित शाह की मुलाकात से जोड़कर देखें तो महाराष्ट्र का राजनैतिक भविष्य स्पष्ट नजर आ रहा है।

दिव्य भास्कर समाचार पत्र के मुताबिक राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले केंद्रीय मंत्री अमित शाह और शरद पवार की अहमदााबाद में मुलाकात हुई है। इस मुलाकात के दौरान क्या बातें हुईं, इस बारे में कोई आधिकारिक खुलासा तो नहीं हुआ है, लेकिन जब मुंबई के पूर्व सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाझे की गिरफ्तारी और उसके बाद परत दर परत हो रहे नए खुलासों के कारण महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल आया हुआ है, ऐसे समय में देश की राजनीति के दो चाणक्यों की हुई मुलाकात का बड़ा अर्थ निकाला जा रहा है। सवाल उठाया जा रहा है कि क्या यह महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार को गिराने का अमित शाह का कोई राजनैतिक खेल है?

निजी विमान से अहमदाबाद पहुंचे थे पवार और प्रफुल
अहमदाबाद में अमित शाह और शरद पवार की हुई इस मुलाकात के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल पटेल भी उपस्थित थे। 26 मार्च की शाम पवार और पटेल निजी विमान से अहमदाबाद पहुंचे थे। उसके बाद वे हवाई अड्डे के पास स्थित शांति आश्रम गेस्ट हाउस में गए। वहां अमित शाह पहले से ही मौजूद थे। बंद कमरे में तीनों वरिष्ठ नेताओं के बीच बातचीत हुई। यह बैठक दो घंटे तक चली।

गुप्त रखी गई थी बैठक
यह बैठक पूरी तरह गुप्त रखी गई थी और किसी पार्टी के पदाधिकारी या अन्य नेताओं को इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी। इस रहस्यमय मुलाकात की खबर प्रकाश में आने के बाद महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार की दूसरी सहयोगी पार्टियां शिवसेना और कांग्रेस में बेचैनी फैली हई है। अगले कुछ दिनों मे तीनों वरिष्ठ नेताओं की बैठक का परिणाम महाराष्ट्र में देखने को मिल सकता है।

संयय राऊत के बदले सूर
पिछले कुछ दिनों से शिवसेना सांसद संजय राऊत के सूर भी बदले हुए लग रहे हैं। राऊत द्वारा सामना के अपने विशेष स्तंभ में की गई टिप्पणी उल्लेखनीय है। उन्होंने लिखा है,”अनिल देशमुख को प्रदेश का गृह मंत्री जैसा महत्वपूर्ण पद गलती से मिल गया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं दिलीप वलसे पाटील और जयंत पाटील द्वारा इस पद को ग्रहण करने से मना कर देने के बाद शरद पवार ने यह विभाग उन्हें दिया।” राऊत के इस बयान पर गौर करें तो ऐसा कहा जा सकता है कि उन्होंने अप्रत्यक्ष रुप से इस मामले में पवार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि पवार ने यह महत्वपूर्ण विभाग एक अयोग्य पार्टी नेता को दे दिया। राऊत का यह बयान शिवसेना और राकांपा के कड़वे हो रहे संबंध का एक ताजा और पक्का सबूत है।

शिवसेना-कांग्रेस के संबंंध भी खराब
पिछले कुछ दिनों से शिवसेना और कांग्रेस के बीच भी सबकुछ ठीकठाक नहीं चलने के संकेत मिल रहे हैं। संजय राऊत जहां कई बार यूपीए का नेतृत्व सोनिया गांधी के बदले शरद पवार के हाथ में देने का बयान दे चुके हैं, वहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले उनके इस बयान को लेकर नाराजगी जता चुके हैं। उन्होंने हाल ही में कहा था कि जब हम साझा सरकार चला रहे हैं तो इस तरह के बयान नहीं देने चाहिए।

सरकार की सेहत पर असर
पिछले कुछ दिनों के महाराष्ट्र के राजनैतिक घटनाक्रम और नेताओं के बयानों को देखें तो ये पता लगता है कि महाविकास आघाड़ी सरकार में मतभेद और मनभेद बढ़ रहे हैं तथा इसका असर सरकार की सेहत पर पड़ सकता है।

 

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