केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर किसान एक साल से अधिक समय से आंदोलन कर रहे हैं। आंदोलन से भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण यानी एनएचएआई को 2,731.31 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी है।
राज्यसभा में जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किसानों के आंदोलन के कारण पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में टोल संग्रह काफी प्रभावित हुआ है। अक्टूबर 2020 से हरियाणा और राजस्थान के कुछ हिस्सों के साथ ही प्रदर्शनकारियों ने पंजाब में भी कई टोल प्लाजा को बंद कर रखा है। इस कारण राष्ट्रीय राजमार्ग पर 60 से 65 टोल प्लाजा प्रभावित हुए हैं।
वित्त वर्ष 2021-22 में 12,000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग
एक अन्य सवाल के जवाब में नितिन गडकरी ने बताया कि मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2021-22 में 12,000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने का लक्ष्य रखा है। ये राजमार्ग विभिन्न परियोजनाओं के तहत बनाए जा रहे हैं और इनमें से कई परियोजनाएं 2021 में पूरी हो जाएंगी।
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आंदोलन के दौरान मौत होने वाले किसानों का रिकॉर्ड नहीं
इससे पहले सरकार ने लोकसभा में कहा कि उसके पास आंदोलन के दौरान किसानों की हुई मौतों के आंकड़े नहीं हैं। आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले प्रदर्शनकारियों के परिजनों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के बारे में पूछे जाने पर कृषि मंत्रालय ने कहा कि उसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। इसलिए मुआवजे का सवाल ही नहीं उठता। लोकसभा में कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने किसान आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों की मौत का मुद्दा उठाया था।
.. फिर भी आंदोलन जारी
तीनों कृषि कानूनों के विरोध में किसान एक साल से अधिक समय से दिल्ली सीमा पर डेरा डाले हुए हैं। हालांकि सरकार ने शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन यानी 29 नवंबर को ही तीनों कृषि कानूनों को रद्द कर दिया है। इसके बावजूद किसानों का आंदोलन जारी है। संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन को लेकर आगे की रणनीति बनाने के लिए 4 दिसंबर को बैठक बुलाई है।