उत्तर प्रदेश और पंजाब सहित देश के पांच राज्यों में इस वर्ष चुनाव कराए जाने हैं। इस बीच कोरोना की तीसरी लहर का प्रकोप बढ़ने लगा है। इसे देखते हुए इन प्रदेशों में चुनाव कराना आयोग के लिए बड़ी चुनौती है। इसलिए चुनाव आयोग काफी पहले से इसकी तैयारियों में जुटा हुआ है।
आयोग इस विशेष परिस्थिति में चुनाव के लिए दिशानिर्देशों को सख्त बनाने पर विचार कर रहा है। नए दिशानिर्देशों के अनुसार जिला चुनाव अधिकारी की विशेष जिम्मेदारी होगी। इसके साथ ही राजनैतिक पार्टियों द्वारा दिशानिर्देशों के उल्लंघन कने पर उनके चुनाव प्रचार पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी है।
ऐसे होंग दिशानिर्देश
डीईओ के पास संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों के लिए अपने अधिकार क्षेत्र मे सभी चुनाव संबंधी कार्यों का समन्वय और पर्यवेक्षण करने की जिम्मेदारी होगी। आयोग के दिशनिर्देशो के उल्लंघन करने पर आयोग डीईओ के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। साथ ही वह स्टार प्रचारक के प्रचार और प्रसार के दिनों को भी कम करने पर भी विचार कर रहा है।
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वर्चुअल बैठक
एक वर्चुअल बैठक में चुनाव आयोग ने राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों, डीजीपी, राज्य पुलिस नोडल अधिकारी और सीईओ के साथ चर्चा की है। इसमें आयोग ने कोरोना के नियमों का सख्ती से पालन करने पर जोर दिया।
इन पांच राज्यों में चुनाव
मुख्य चुनाव आयुक्त ने मणिपुर में टीकाकरण दर पर चिंता जताई है और वहां वैक्सीनेशन की रफ्तार तेज करने का निर्देश दिया है। मणिपुर, उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड के साथ ही गोवा में भी अगले कुछ महीनों में चुनाव होने हैं।
न्यायालय के निर्देश पर फिलहाल अमल नहीं
उत्तराखंड उच्च न्यायालय में एक मामले की सुनवाई में सार्वजनिक रैलियों और आभासी मतदान के विकल्पों पर विचार करने का निर्देश दिया गया था। पोल पैनल ने कहा है कि फिलहाल यह संभव नहीं है। लेकन महामारी को देखते हुए सार्वजनिक रैलियों को कम करने के उपाय पर विचार किया जाएगा।