दुर्भाग्य से 26 जुलाई मुंबईवासियों के लिए यादगार दिन है। 26 जुलाई 2005 की बाढ़ के 16 साल बीत जाने के बाद भी स्थितियां नहीं बदली हैं। इतने सालों तक सत्ता में रहने के बाद भी शिवसेना ने मुंबईकरों को धोखा दिया। भारतीय जनता पार्टी के विधायक आशीष शेलार ने यह आरोप लगाते हुए कहा कि मुंबई की परिस्थिति ऐसी है कि बारिश में हर साल कुछ लोगों का घर-संसार उजड़ जाता है, जबकि कुछ लोगों के घर संवर जाते हैं।
कहां गए 3 लाख 20 हजार करोड़?
आशीष शेलार ने शिवसेना पर निशाना साधते हुए कहा कि कोंकण और सातारा के हालात और मिट्टी खिसकने के बाद लोगों की हुई मौतों को देखने के बावजूद मुंबई के लिए उसे कुछ करने की जरुरत महसूस नहीं होती। शेलार ने कहा कि कभी 20,000 रुपये, कभी 30,000 तो कभी 35,000 करोड़ रुपये का बीएमसी का बजट पेश किया गया। 16 साल में अगर बीएमसी का औसत बजट 20,000 करोड़ रुपये है, तो भी हमने इतने सालों में मुंबईवासियों पर 3 लाख 20,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। लेकिन इतना खर्च करके भी मुंबई की तस्वीर नहीं बदली है? तो आखिर पैसा कहां गया?
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भाजपा शिवसेना से मांगेगी जवाब
आशीष शेलार ने कहा कि सत्तारूढ़ शिवसेना को इसका जवाब देना होगा। आईआईटी की चितले समिति की रिपोर्ट का क्या हुआ? उस समय चितले समिति द्वारा की गई सिफारिशों का क्या हुआ? क्या बारिश में जल भरने वाले क्षेत्रों के लिए कुछ किया गया? क्या मीठी नदी पर से अतिक्रमण हटाया गया? इन सवालों के जवाब बीमसी अधिकारियों को देने होंगे। भारतीय जनता पार्टी इन सबके लिए शिवसेना को जिम्मेदार मानती है।
एक माह का वेतन देगी भाजपा
चिपलून में मुख्यमंत्री के निरीक्षण के दौरान एक बाढ़ पीड़ित महिला ने सांसदों और विधायकों से बाढ़ पीड़ितों के लिए अपना वेतन देने का आह्वान किया। जवाब में भाजपा नेता प्रभाकर शिंदे ने अपने नगरसवेकों के एक महीने का वेतन देने की घोषणा की। इसके लिए भाजपा नगरसेवकों द्वारा लिखित पत्र महापौर व नगर सचिव को भेजा गया है।
बड़ी रकम की जरुरत
बता दें कि राज्य में मूसलाधार बारिश से कई क्षेत्रों में भारी नुकसान हुआ है। इसमें जान के साथ ही माल का भी भारी नुकसान हुआ है। कोंकण, विदर्भ, अमरावती, सांगली आदि इलाकों में लोगों के घरों में पानी घुस गया तो वहीं कई लोगों के घर ध्वस्त हो गए। इस स्थिति में प्रभावितों की मदद के लिए बड़ी रकम की जरुरत है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोग सरकार और नेताओं से मदद की गुहार लगा रहे हैं।