हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections) में हार के बाद भी कांग्रेस (Congress) में गुटबाजी (Factionalism) थमने का नाम नहीं ले रही है। हरियाणा कांग्रेस विधायक दल के नेता के चुनाव को लेकर पेंच फंसा हुआ है। विधायक दल का नेता चुनने को लेकर हरियाणा कांग्रेस की 18 अक्टूबर को चंडीगढ़ स्थित हरियाणा प्रदेश कार्यालय में बैठक हुई थी। इसमें केंद्रीय पर्यवेक्षक (Central Observer) के तौर पर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के खजांची अजय माकन, प्रताप सिंह बाजवा, टीएस सिंह देव पहुंचे थे। पर्यवेक्षकों ने एक-एक विधायक से विधायक दल के नेता के चुनाव को लेकर राय मांगी थी। और विधायक दल के नेता का चुनाव करने के लिए फैसला पार्टी आलाकमान कमान पर सौंप दिया था।
हरियाणा में कांग्रेस की यह लगातार तीसरी हार है और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 37 सीटें मिली है। कुल कांग्रेस के 37 विधायकों में से 33 विधायक भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थक हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने शक्ति प्रदर्शन करते हुए दिल्ली में 33 विधायकों को बुलाकर आला कमान को बता दिया था की विधायकों का संख्या बल उनके साथ है।
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18 अक्टूबर को हुई कांग्रेस विधायकों की बैठक में पर्यवेक्षकों के सामने भी 33 विधायकों ने हुड्डा का नाम रखा था। जबकि शैलजा गुट के चार विधायक ही थे। ऐसे में अगर संख्या बल के हिसाब से विधायक दल का नेता तय होता है तो हुड्डा समर्थक विधायक ही नेता होगा। जिसमें थानेसर के विधायक अशोक अरोड़ा और दलित महिला विधायक गीता भुक्कल का नाम चल रहा है। शैलजा गुट की तरफ से पंचकूला से विधायक चंद्र मोहन बिश्नोई का नाम चल रहा है।
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