बिहार के तेज-तर्रार और आरजेडी के युवा नेता तेजस्वी यादव सियासत में लंबी रेस के घोड़ा हैं। भले ही वे इस बार बिहार के मुख्यमंत्री नहीं बन पाए, लेकिन उन्होंने यह तो साबित कर ही दिया है कि अब लालू यादव के बिना भी आरजेडी का लालटेन जलता रहेगा। अपने कंधे पर पार्टी के साथ महागठबंधन को एक नया मुकाम दिलानेवाले तेजस्वी ने 9 नवंबर को ही अपना 31वां जन्म दिन मनाया है। राजनीति करने के लिए उनके पास काफी वक्त है और वे आज नहीं तो कल बिहार के मुख्यमंत्री बनेंगे।
चार साल रहे आईपीएल के हिस्सा
फिलहाल राजनीति के इस होनहार खिलाड़ी के बारे में बहुत कम लोगों को मालूम है कि वे इससे पहले क्रिकेट के खिलाड़ी रह चुके हैं और चार सालों तक आईपीएल के भी हिस्सा रहे हैं।
क्रिकेट में करियर
- तेजस्वी चार सीजन 2008 से 12 तक दिल्ली डेयर डेविल्स का हिस्सा रहे
- वे कभी भी प्लेइंग 11के हिस्सा नहीं रहे
- जब लालू प्रसाद यादव से आईपीएल में न खेलने को लेकर सवाल किया गया था तो उन्होंने कहा था ‘कम से कम उसे खिलाड़ियों को पानी पिलाने का मौका तो मिला।’
- तेजस्वी मध्यम क्रम के बल्लेबाजी के आलावा गेंदबाजी में स्विंग कराने की क्षमता भी रखते थे
- वे 2003 में दिल्ली शिफ्ट हो गए और नेशनल स्टेडियम में प्रैक्टिस किया
- बिहार में पिता की विरासत छोड़कर दिल्ली में पढाई -लिखाई की
- नौवीं तक ही पढ़ाई की, फिर क्रिकेट की ओर बढ़ गए
- इसके बाद अंडर 15 टीम की तरफ से हिस्सा बने
- फिर झारखंड की तरफ से अंडर 19 में खेले
- उन्होंने घरेलू क्रिकेट में भी कुछ मुकाबले खेले
- रणजी ट्रॉफी लीग में विदर्भ के खिलाफ खेले
- अपने डेब्यू मैच की पहली पारी में सिर्फ 1 रन बनाया और दूसरी पारी में 19 रन बनाए
- गेंदबाजी करते हुए पहली पारी में 5 ओवर में बिना विकेट लिए 17 रन दिए
- तेजस्वी ने विजय हजारे ट्राफी में दो लिस्ट-ए-मैच( घरेलू वनडे) और चार टी 20 खेले,इस टूर्नामेंट में भी खास प्रदर्शन नहीं कर पाए
- पहले मैच में ओडिशा के खिलाफ सिर्फ 9 रन बनाए, इसके बाद त्रिपुरा के खिलाफ 5 रन बनाए
- सईद मुश्ताक अली टी-20 टूर्नामेंट में भी मौका मिला, जिसमें उन्होंने एक मैच खेला,सिर्फ तीन रन बनाए,एक भी विकेट नहीं लिए
तेजस्वी के साथ क्रिकेट की विरासत नहीं थी, लेकिन उसकी चाहत थी, हालांकि वो ताहत के साथ लंबे समय तक नहीं रह पाए और उन्हें अपना विरासत की ओर रुख करना पड़ा। सबा करीम, पूर्व भारतीय क्रिकेटर
क्रिकेट में फेल पॉलिटिक्स में पास
तेजस्वी वीरेंद्र सहबाग की तरह बैटिंग करना करना चाहते थे लेकिन वे क्रिकेट जगत में मौका मिलने के बावजूद पूरी तरह फेल रहे। उसके बाद 2010 में तेजस्वी राजनीति के मैदान में उतरे और अपने पिता के लिए बिहार चुनाव प्रचार किया। उस समय उनके पिता लालू यादव रेल मंत्री थे। 2010 में कांग्रेस और एसीपी के साथ मिलकर आरजेडी गठबंधन ने 90 सीटों पर जीत हासिल की थी।
राजनीति की खास बातें
- 2015 में विधानसभा राघोपुर से विधायक बने
- नीतीश कुमार और लालू यादव एक साथ चुनाव लड़े,जीत मिली और सरकार में तेजस्वी उप मुख्यमंत्री बनाए गए
- वे 16 महीने तक उपमुख्यमंत्री रहे
- नीतीश कुमार के एनडीए के साथ जाने पर सरकार से बाहर हो गए और विधानसभा में विपक्ष के नेता बने
- उन पर पटना में तीन एकड़ जमीन को लेकर भ्रष्टाचार का आरोप लगा
- इस आईआरसीटीसी लैंड स्कैम में उन्हें अगस्त 2018 में बेल मिली
कई नये प्रयोग किए
तेजस्वी यादव ने इस चुनाव में कई तरह के प्रयोग किए और उसमें काफी हद तक सफल रहे। सबसे पहले तो उन्होंने चुनावी पोस्टर और बैनर पर से अपने पिता लालू यादव और माता राबड़ी देवी की तस्वीरें निकाल दीं। इसके साथ ही उन्होंने अपने गठबंधन के भी किसी नेता की तस्वीर अपने चुनावी पोस्टर पर नहीं लगाई। उन्होंने बिहार के युवकों के लिए नया नारा दिया, ‘नई सोच, नया बिहार, युवा सरकार, अबकी बार।’
दिया साहस का परिचय
महागठबंधन में शामिल मुकेश सहनी( विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख) द्वारा चुनाव में अधिक सीटें मांगने पर उन्हें बाहर का रास्ता दिखाकर अपने राजनैतिक साहस का परिचय दिया। उन्होंने पूरे चुनाव प्रचार में बिहारी युवकों के सपने को साकार करने की बात कही। तेजस्वी ने आरजेडी को 90 के दशक की पार्टी को 21वीं सदी की पार्टी बनाई। इसके साथ ही उन्होंने अपने माता-पिता को यह भरोसा दिलाया कि उनकी विरासत की सियासत अब सुरक्षित रहेगी।
तेजस्वी का तेज
तेजस्वी अपने नौ भाई-बहनों में सबसे समझदार माने जाते हैं। इसलिए विरासत की सियासत की चाबी भी उनके हाथ में आई है। हालांकि मीसा भारती को भी लालू यादव ने मौका दिया लेकिन वह दो बार से चुनाव हार रही हैं। अभी राज्य सभा की सांसद हैं। तेज प्रताप के तेवर बारे में सबको पता है।