नए कृषि कानूनों को लेकर पिछले 9 महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर और पंजाब तथा हरियाणा के अन्य स्थानों पर आंदोलन कर रहे किसानों की सच्चाई एक बार फिर सामने आ गई है। उन्होंने एक महिला पत्रकार को घेरकर जिस तरह अपने किसान होने का परिचय दिया, उससे इनकी सच्चाई सामने आ गई है। वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि ये तथाकथित किसान एक महिला मीडियाकर्मी को घेरने की कोशिश कर रहे हैं। ये वास्तव में देश के करोड़ों अन्नदाताओं को कलंकित करने का काम कर रहे हैं।
महापंचायत कवर करने गई थी टीम
ये वीडियो मुजफ्फरनगर जनपद का है। बताया जा रहा है कि ये मीडिकार्मी एक मशहूर टीवी चैनल से जुड़े हुए हैं। यह टीम किसानों की महापंचायत कवर करने गई थी। एसपी सिटी की सूझबूझ से मीडिकर्मियों को वहां से बाहर निकाले जाने की बात सामने आई है।
https://twitter.com/ThePushpendra_/status/1434482701835243525?s=20
टीवी चैनल पर लगाए ऐसे आरोप
आंदोलकारी किसान यहीं नहीं रुके। उन्होंने ट्वीट कर एक टीवी चैनल पर कई तरह के आरोप लगाए।
बड़े बे-आबरू होकर मुज़फ़्फ़रनगर से वो निकले …!
जो ग़लत है उन्हें सुधरना होगा।#FarmersProtest #Muzaffarnagar pic.twitter.com/XDmdWrY9NF
— Kisan Ekta March (@KisanEktaMarch) September 5, 2021
पहले भी ये कर चुके हैं ऐसे कांड
इससे पहले भी इनकी महिलाओं से रेप और बदसलूकी के मामले सामने आ चुके हैं। इसी साल 7 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च के दौरान किसानों की भीड़ ने महिला पत्रकारों से बदसलूकी की थी। ट्रैक्टर मार्च कवर करने गईं रिपब्लिक टीवी की पत्रकार शिखा शर्मा ने ट्विटर पर वीडियो पोस्ट कर इस बारे में जानकारी दी थी।
https://twitter.com/shikhasharmaa/status/1347377774747643904?s=20
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पिछले नौ महीनों से जारी है आंदोलन
पिछले नौ महीनों से जिस तरह ये केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, उसे देखकर देश के अन्नदाता शर्मिंदगी महसूस कर रहा है। देश के किसानों को जहां अपने खेत खलिहान और परिवार से एक दिन का फुर्सत नहीं मिलती, वहीं ये किसान बनकर अन्नदाताओं को बदनाम करने का षड्यंत्र कर रहे हैं।
We have been covering this protest since it started and we have always supported the real farmers,we still do. However, nothing is above the law and our Nation. We can’t let these handful of people ruin our democracy. You can’t even begin to imagine what happened after this. https://t.co/KDQjFelhpc pic.twitter.com/d7meNUQVIA
— Malika Malhotra (@malhotra_malika) January 8, 2021
सर्वोच्च न्यायालय लगा चुकी है कई बार फटकार
सरकार, सर्वोच्च न्यायालय और देश की जनता इनके इस तरह के आंदोलन पर कई बार एतराज जता चुके हैं, लेकिन ये कुछ किसान संगठनों के लोग अपनी जिद छोड़ने को तैयार नहीं है। देश कोरोना और अफगानिस्तान जैसी मुसीबतों से गुजर रहा है, लेकिन इन्हें अपने स्वार्थ की रोटी सेंकनी है।
सोशल मीडिया पर किए जाते हैं ऐसे कमेंट
सोशल मीडिया पर इनके लिए गंदे से गंदे कमेंट किए जा रहे हैं लेकिन ये हैं कि हिलने का नाम नहीं लेते। अब तक यह भी साफ हो चुका है कि इनकी फंडिंग देश की कुछ पार्टियों के साथ ही खालिस्तानी संगठनों द्वारा की जा रही है लेकिन ये इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं हैं।
Join Our WhatsApp Communityकिसान आंदोलन पूरी तरह हाइजैक हो चुका है।इसमें गुंडे,मवाली,शराबी अराजक तत्व घुस चुके हैं।लड़कियों को छेड़ना,महिलाओं से दुर्व्यवहार,हुरदंग लूटपाट ये सब चरित्र बन गया है इस आंदोलन का।या तो किसान अपना आंदोलन ख़ुद वापस ले ले या फिर सरकार इन्हें यहाँ से ख़ाली कराए।यही रास्ता बचा है अब।
— SHAMSHER SINGH (@ShamsherSLive) January 8, 2021