दिल्ली से हटे तो पंजाब में डटे… कांग्रेस की सत्ता के लिए खड़ा हुआ नया खतरा

पंजाब की राजनीति में नई उठापटक होने के संकेत हैं। किसान यूनियनों के राजनीतिक प्रवेश ने सभी पार्टियों के लिए चिंता बढ़ा दी है।

126

पंजाब चुनावों के पहले राजनीति नित नई करवट ले रही है। दिल्ली के सीमाओं से हटे किसान यूनियन नेता अब घर वापसी करके नई ताल ठोंक रहे हैं। 22 किसान यूनियनों के संगठनों ने संयुक्त किसान मोर्चा का गठन किया है। इस संगठन के आने के बाद राजनीतिक दलों की चिंता बढ़ गई है, जिसमें सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी की चिंता सबसे अधिक बढ़ी है।

राज्य में 2022 में विधान सभा चुनाव होने हैं। इसके लिए सभी दल ताल ठोंक रहे हैं। कैप्टन के राज में कांग्रेस की राह दूसरी बार सत्ता स्थापना के लिए आसान मानी जा रही थी, परंतु पार्टी में आंतरिक विरोधों की नवजोत से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर को कुर्सी छोड़नी पड़ी। इसी के साथ पार्टी में टूट भी हो गई। अब कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी और भाजपा गठबंधन के रूप में चुनावी रण में कूदेंगे। चुनावी रण में शिरोमणि अकाली दल कमजोर पड़ रही थी, जबकि आम आदमी पार्टी मुख्यमंत्री पद के चेहरे की घोषणा को लेकर आंतरिक नाराजगी का सामना कर रही है। इस परिस्थिति में दिल्ली की सीमा से हटे किसान यूनियनें खुशी की सूचना लेकर आई हैं।

ये भी पढ़ें – 25 दिसंबर इसलिए भी विशेष… उस क्रांति ज्योति की अस्थियों को 67 वर्ष बाद मिली भारत की मिट्टी

राजेवाल के नेतृत्व में किसानों की राजनीति
दिल्ली की सीमाओं पर पंजाब के 32 किसान यूनियनों ने आंदोलन में हिस्सा लिया था। इसमें से 22 किसान यूनियनें अब संयुक्त समाज मोर्चा के अंतर्गत चुनावी रण में अपने वोटों का निर्णय करेंगे। इसके नेता हैं बलबीर सिंह राजेवाल। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया कि,

हमें सिस्टम में बदलाव चाहिये, इसलिए सभी से अपील है कि समर्थन दें।
बलबीर सिंह राजेवाल – नेता, संयुक्त समाज मोर्चा

चुनाव नहीं लड़ेंगे लेकिन…
संयुक्त समाज मोर्चा चुनाव नहीं लड़ेगा। लेकिन, वह अपना समर्थन किसे देना है यह सामूहिक रूप से निर्धारित करेगा। एसकेएम के नेताओं के अनुसार उनके साथ देश के 400 संगठन हैं।

चुनावों के बायकॉट का कोई निर्णय नहीं किया गया है और न ही चुनाव लड़ने पर कोई सहमति बनी है। एसकेएम का गठन लोगों को सरकार से अपने अधिकार प्राप्त करने के लिए किया गया है। तीनों कृषि कानूनों के रद्द होने के बाद आंदोलन को स्थगित कर दिया गया है। अब बाकी की मांगों को लेकर 15 जनवरी, 2022 को बैठक में इस पर निर्णय किया जाएगा।
बलबीर सिंह राजेवाल – नेता, संयुक्त समाज मोर्चा

बटेंगे वोट, बदलेगी किस्मत
संयुक्त समाज मोर्चा के गठन के बाद वोट बैंक के बंटने का एक और आधार खड़ा हो गया है। एक ओर कैप्टन अमरिंदर सिंह की बदली ताल तो दूसरी ओर किसान यूनियनों की नई चाल, ये पंजाब की सियासी भाग्य बदल दें तो आश्चर्य नहीं होगा।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.