तीन दिवसीय सातवां वैश्विक प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन 29 नवंबर से शुरू हो गया। इसके उद्घाटन सत्र में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि डेटा अब व्यापार का नहीं राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय है। भारत ने इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क पर काम शुरू कर दिया है। अमेरिका इसके लिए आगे आया है। इसमें तकनीक और आपूर्ति शृंखला मूल तत्व हैं। इस पर विभिन्न साझेदारों जैसे आईपीईएफ और क्वाड से द्विपक्षीय चर्चा हो चुकी है।
दुनिया को बदलना होगा अपना दृष्टिकोण
एस जयशंकर ने कहा कि प्रौद्योगिकी आज भू-राजनीति के केंद्र में है। टेलीकॉम की डोमेन में भारत को विश्वसनीय की अवधारणा से देखा जाता है। दुनिया आने वाले दिनों में डिजिटल पक्ष पर भारत की विश्वसनीयता के बारे में सुनेगी। डेटा कहां जा रहा है। यह अब व्यवसाय और अर्थशास्त्र का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय है। अब दुनिया में हर चीज को हथियार बनाया जा रहा है। दुनिया को अपना दृष्टिकोण बदलना होगा। देशों को अपने हितों की रक्षा कैसे करनी चाहिए, इस पर साफ-साफ सोचना होगा। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत का विकास भारतीय प्रौद्योगिकी के विकास से गहराई से जुड़ा हुआ है।
Rise of India linked to rise of technology: Jaishankar at Global Tech summit
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— ANI Digital (@ani_digital) November 29, 2022
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कई देशों के मंत्री और अधिकारी लेंगे हिस्सा
उल्लेखनीय है कि तीन दिन के इस सम्मेलन में प्रतिनिधि भौतिक और वर्चुअल दोनों रूप में हिस्सा लेंगे। विदेश मंत्रालय और कार्नेगी इंडिया की मेजबानी में भू-प्रौद्योगिकी पर होने वाला यह भारत का वार्षिक प्रमुख सम्मेलन है। सम्मेलन में प्रौद्योगिकी, सरकार, सुरक्षा, अंतरिक्ष, स्टार्टअप, डेटा, कानून, लोक स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन, अकादमिक और आर्थिक मुद्दों पर विश्व के प्रमुख बुद्धिजीवी विचार रखेंगे। इस वर्ष के शिखर सम्मेलन का विषय ‘प्रौद्योगिकी की भू-राजनीति’ है। शिखर सम्मेलन में 100 से अधिक वक्ता विचार रखेंगे। अमेरिका, सिंगापुर, जापान, नाइजीरिया, ब्राजील, भूटान, यूरोपीय संघ और अन्य देशों के मंत्री और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी भी शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं।