पूर्व आईपीएस अधिकारी ज्युलियो रिबेरो ने पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के लेटर केस की जांच करने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि मुझे इस मामले की जांच नहीं करनी है। रिबेरो ने कहा कि इस मामले में अभी तक किसी से बात भी नहीं हुई है लेकिन ऐसा सुना हूं कि शरद पवार ने मामले की जांच मुझसे कराने की बात कही है। उन्होंने अपनी उम्र का हवाला देते हुए कहा कि मैं अब 92 साल का हो गया हूं। इस उम्र में मैं किसी मामले की जांच नहीं कर सकता हूं। मुझमें इतनी शक्ति नहीं है।
इसलिए किया इनकार
रिबेरो ने कहा कि अगर मुझमें ताकत होती तो भी मैं इस तरह के मामले की जांच नहीं करता। क्योंकि यह बिलकुल निचले दर्जे की राजनीति है। उन्होंने कहा कि परमबीर सिंह को जिस समय यह जानकारी मिली थी, उसी समय यह प्रकरण उठाना चाहिए था। तबादला होने पर वे इस तरह के आरोप लगा रहे हैं। इस प्रकार के पत्र लिखने का काम एक पुलिस अधिकारी का नहीं है।
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इनको झूठ बोलने की आदत
ज्युलियो रिबेरो से जब ये पूछा गया कि परमबीर सिंह ने लेटर बम फोड़ा। क्या आपको उनकी बातों पर विश्वास है, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि नहीं, मैं ऐसे अधिकारियों और राजनीतिज्ञों पर विश्वास नहीं करता हूं। इनको झूठ बोलने की आदत होती है।
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शरद पवार ने कही थी ये बात
बता दें कि शरद पवार ने परमबीर सिंह द्वारा गृह मंत्री अनिल देशमुख पर लगाए गए आरोप को गंभीर मामला बताया था। 21 मार्च को दिल्ली में अपने आवास पर पवार ने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा था कि इस मामले की जांच होनी चाहिए। इसकी जांच ज्यूलियो रिबेरो जैसे किसी अच्छे अधिकारी से कराई जानी चाहिए।
कौन हैं ज्यूलियो रिबेरो?
- रिबेरो 1953 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं।
- वे मुंबई के 21वें पुलिस आयुक्त थे।
- वे 1982 से 1986 तक देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के सीपी थे।
- रिबेरो सीआरपीएफ के डीजी थे।
- उसके बाद उन्हें गुजरात का पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया गया था।
- 1989 में वे पुलिस सेवा से निवृत्त हुए।
- उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
- उनकी पहचान एक साफ-सुथरे आईपीएस अधिकारी के रुप मे है।