नई दिल्ली (New Delhi) में हो रहे 18वें जी-20 शिखर सम्मेलन (G-20 summit) से सभी सदस्यों के बीच सर्वसम्मति (consensus) से घोषणापत्र को लेकर काफी दुविधा की स्थिति थी। खासकर रूस-यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध के मद्देनजर यह एक बहुत चुनौतीपूर्ण कार्य था। लेकिन भारत (India) की जमीन ने इस दुरुह से दिखते कार्य को आसानी से अंजाम तक पहुंचा दिया।
जी-20 शिखर सम्मेलन में रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) पर सदस्य देशों के प्रमुख मतभेदों को दूर करते हुए सर्वसम्मति से घोषणापत्र स्वीकार कर लिया गया। इस स्वीकारोक्ति के साथ ही भारत ने एक बड़ी जीत हासिल की है। यह देश के लिए गर्व की बात है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने भी कहा, ”नई दिल्ली ने इतिहास रच दिया।”
इन देशों की भी रही बड़ी भूमिका
08 सितंबर दिन तक तक सदस्य देशों के बीच जी-20 शिखर सम्मेलन की सर्वसम्मति से घोषणा पर मुहर नहीं लग पायी थी। उसके बाद पश्चिमी देशों और रूस के साथ भारत ने बातचीत शुरू की। इसमें इंडोनेशिया, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका ने भी सहयोग दिया। परिणाम स्वरूप चीन को भारत ने सहमति के लिए तैयार करा लिया।
भारतीय शेरपा की भूमिका
जानकारी के अनुसार जी-20 शिखर सम्मेलन के नई दिल्ली घोषणापत्र पर सर्वसम्मति बनाने के लिए सदस्य देशों से 200 घंटे तक बातचीत की गई। तब जाकर 08सितंबर की रात्रि में दिल्ली घोषणापत्र पर सर्वसम्मति बन पाई। इसकी पुष्टि भारतीय शेरपा अमिताभ कांत (Amitabh Kant) ने की थी। गौरतलब हो कि जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए सभी देश अपने देश का एक शेरपा नियुक्त करते हैं, जो अपने देश के नेता की मदद करने के साथ ही अपनी नीतियों से दूसरों देशों के संज्ञान में लाते हैं।
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