Rajasthan: पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विशेषाधिकारी रहे लोकेश शर्मा ने 24 अप्रैल को गहलोत सरकार पर फोन टैपिंग के आरोपों को लेकर कई खुलासे किए। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्ष 2020 में सियासी संकट के दौरान अपने राजनीतिक फायदे के लिए अशोक गहलोत ने फोन टैपिंग कराई थी और उस दौरान मेरे द्वारा जारी तीन ऑडियो क्लिप मुझे किसी सोशल मीडिया प्लेटफार्म से नहीं मिली बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री ने ही मुझे ऑडियो क्लिप वाली पेन ड्राइव और एक लिखित कागज मीडिया में जारी करने के लिए दिया था। उन्होंने कहा कि जो कृत्य मैंने किया ही नहीं उस बोझ का लेकर मैं कैसे आगे बढ़ सकता हूं।
पूर्व ओएसडी लोकेश शर्मा ने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर सियासी संकट के दौरान सोलह जुलाई 2020 को तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत होटल फेयरमाउंट आए थे। उनके होटल से निकलने के एक घंटे बाद मेरे पास गहलोत के पीएसओ रहे रामनिवास का कॉल आया था। उन्होंने कहा कि सीएम ने आपको बुलाया है। मैं पिंक हाउस पहुंचा तो गहलोत जी मेरा इंतजार कर रहे थे। गहलोत ने मुझे एक प्रिंटेड कागज और एक पेन ड्राइव दी। उसमें ऑडियो क्लिप थी, जिसमें विधायकों की खरीद-फरोख्त की बात थी।
इनकी थी बातचीत
लोकेश शर्मा ने कहा कि जो पेपर उन्होंने दिया, इसमें गजेंद्र सिंह शेखावत, दिवंगत विधायक भंवरलाल शर्मा और किसी संजय जैन की कथित बातचीत का हवाला था। पेन ड्राइव और पेपर देकर कहा कि जल्दी जाकर मीडिया को दे दीजिए। पेन ड्राइव से सभी मीडिया कर्मियों को ये भेजा नहीं जा सकता था, इसलिए मैंने घर आकर लैपटॉप में ऑडियो को ट्रांसफर किया। इसके बाद माेबाइल में लिया, फिर मीडिया को भेज दिया। ये ऑडियो मुझे सोशल मीडिया से नहीं मिला था। अशोक गहलोत ने मुझे पेन ड्राइव के जरिए सभी ऑडियो क्लिप दी थी।
मैंने आदेश का किया था पालनः लोकेश शर्मा
उन्होंने कहा कि अगले दिन जब अखबारों में खबरें छपीं, तो मुझे पता चला कि ऑडियो क्लिप में क्या है। मुझे सिर्फ डायरेक्शन दिए गए, जिसकी मैंने पालना की थी। उसके बाद मुकदमे दर्ज हुए। कौन लोग है, जो सरकार गिराना चाहते हैं। इससे गजेंद्र सिंह शेखावत को जोड़ा गया। ऐसी मंशा थी कि इस पूरे खेल के पीछे भारतीय जनता पार्टी है, लेकिन हम सभी ने सुना कि सचिन पायलट ने कहा था कि हम लोगों की सुनवाई नहीं हुई थी। इसलिए एकत्र होकर आलाकमान तक अपनी बात पहुंचाना चाहते थे। लोकेश शर्मा ने बताया कि जैसे ही अशोक गहलोत को ये पता चला, उन्होंने सारा षड्यंत्र रचा था। जो लोग पायलट के साथ गए थे, उनके फोन सर्विलांस पर थे। सभी को ट्रैक किया जा रहा था। इसमें पायलट भी शामिल थे। सभी का मूवमेंट पता किया जा रहा था।
उन्होंने कहा- मैं जिन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानता था। बहुत साफ दिल के इंसान हैं। क्योंकि मुझे हमेशा कहते थे, मेरी तरह सभी को काम में लिया कर। आज मुझे पता चल गया, मैं कैसे काम में आ गया।
गहलोत पर आरोप
लोकेश शर्मा ने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम के बाद भी उन्हें शायद लगता था कि मैंने मोबाइल नहीं तोड़ा है। इसलिए 26 नवंबर 2021 में मेरे ऑफिस में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप की रेड डलवाई। उसी आदमी ने जिसके लिए मैंने इतना बड़ा कदम उठाया। जो व्यक्ति मुख्यमंत्री के लिए काम करता है। उसके ऑफिस में एसओजी की रेड हुई। मेरे पूरे ऑफिस को खंगाल लिया। मोबाइल नहीं मिला, उसके बाद तसल्ली हुई। ये हैं हमारे पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी और उनकी सच्चाई। वो किस तरह लोगों का इस्तेमाल करते हैं। राजनीतिक फायदे के लिए उपयोग करते हैं, फिर किनारा कर लेते हैं।
इसलिए संजीवनी से जुड़े लोगों को बुलाया जाता था
लोकेश शर्मा ने बताया कि फिर जब मुझे क्राइम ब्रांच बुलाया गया तो सोचा गया किस तरह गजेंद्र सिंह पर दबाव बनाया जाए। फिर संजीवनी मामले का राजनीतिक फायदा लेने के लिए कैसे उनकी छवि खराब की जाए। परिवार पर आरोप लगाए जाए। सीएम हाउस में ही ये षड्यंत्र रचा जाता था। गजेंद्र सिंह और सचिन पायलट को किस तरह से नीचा दिखाया जाए। कैसे जनता के सामने छवि खराब की जाए। इसलिए संजीवनी से जुड़े लोगों को बुलाया जाता था। उनके वीडियो बनाकर लगातार चलाया जाता था।
क्राइम ब्रांच ने लोकेश शर्मा के खिलाफदर्ज किया था मामला
उल्लेखनीय है कि फोन टैपिंग प्रकरण को लेकर बाद में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दिल्ली पुलिस में परिवाद देकर जनप्रतिनिधियों के फोन टैप करने और उनकी छवि खराब करने का आरोप लगाया था। जिस पर 25 मार्च 2021 को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने लोकेश शर्मा के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इस एफआईआर के खिलाफ लोकेश शर्मा दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचे थे। आज भी उनकी याचिका हाई कोर्ट में लंबित है। इस दौरान करीब आधा दर्जन बार दिल्ली क्राइम ब्रांच लोकेश शर्मा से पूछताछ कर चुकी है।