वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को आम बजट पेश किया। इस बजट को गांव और किसान आधारित बजट बताया जा रहा है। विपक्ष के लोग इसकी आलोचना करते नहीं थक रहे हैं तो वहीं भाजपा के लोग इसे ऐतिहासिक बजट बता रहे हैं। व्यापारी इसका स्वागत करते नजर आ रहे हैं तो अर्थशास्त्री इसे उत्तम बजट बताने में जुटे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने तो इसे शराब के उदाहरण से समझाया। लोगों की ऐसी ही मिली जुली प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं।
भाजपा नेता और राज्यमंत्री तथा अखिल भारतीय बौद्ध शोध संस्थान के उपाध्यक्ष हरगोविंद कुशवाहा ने बजट को ऐतिहासिक करार दिया है। उन्होंने इसे गांव परक व किसान परक बजट बताया। साथ ही कहा कि यह पहली बार हुआ है जब गांव व किसान को ध्यान में रखकर बजट बनाया गया है। उन्होंने कहा कि कभी चौधरी चरण सिंह ने कहा था कि जब खेत अच्छा होगा तो खलिहान अच्छा होगा। खलिहान अच्छा होगा तो गांव अच्छा होगा। जब गांव अच्छा होगा तो प्रदेश अच्छा होगा और जब प्रदेश अच्छा होगा तो देश अच्छा होगा। उनके इस कथन को चरितार्थ करते हुए देश की विद्वान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण गांव और किसान के लिए बजट बनाया है।
इसलिए बजट है ऐतिहासिक
हरगोविंद कुशवाहा ने बजट में पांच नदियों को जोड़ने की भी बात कही गई, जिससे सिंचाई व्यवस्था सुदृढ़ किया जा सकेगा। साथ ही 25 हजार किलोमीटर की सड़कें बनाने को भी कहा गया है। जीडीपी की दर को बढ़ाने की भी पहल की गई है, जो कि काबिले तारीफ है। कोरोना काल में जहां विश्व के कई देशों की अर्थव्यवस्था डगमगा गई तो वहीं भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को संभालते हुए देश को संभाला। यह अपने आप में बड़ी उपलब्धि है।
गांव व किसान के लिए ऐतिहासिक बजट, देश को प्रगति की ओर ले जाएगा
बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उत्तर प्रदेश व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष एवं कैट के राष्ट्रीय मंत्री संजय पटवारी ने कहा है कि वित्त मंत्री द्वारा यह एक संतुलित बजट पेश किया गया है। यह बजट देश को प्रगति की ओर ले जाएगा। एक ओर इस बजट में ड्यूटी से छूट से कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक आइटम, सोना चांदी सस्ते होंगे, वहीं दूसरी ओर स्टार्टअप के विभिन्न क्षेत्र में 30 साल तक की छूट का प्रावधान से लघु और मध्यम उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। आयकर के रिटर्न में भी अगर कोई विसंगति होती है तो 2 साल के अंदर उसमें संशोधन का प्रावधान स्वागत योग है। उन्होंने कहा कि जीएसटी एवं आयकर में किसी तरह की छूट न मिलने से व्यापारी जरूर निराश हुआ है।
उम्मीदों से भी उत्तम बजट
बैंकिंग, अर्थशास्त्र एवं वित्त विभाग, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री डॉ अतुल गोयल ने केंद्रीय बजट उम्मीदों से भी उत्तम बताया है। सरकार ने कोरोना से बहुत ही बेहतरीन तरीके से मुकाबला किया। पिछले दो वर्षों से महामारी के कारण, सरकार की प्रत्याशित आय उम्मीद से बहुत कम रही। तथापि सरकारी व्यय 34 लाख करोड़ की तुलना में 39 लाख करोड़ से अधिक किया जाना, सरकार की कल्याणकारी सोच को प्रदर्शित करता है। बजट को लेकर नौकरी पेशा तथा किसानों को थोड़ी सी नाराजगी है। सरकार का स्पष्ट एजेंडा है कि निजी क्षेत्र को भारत के विकास का ध्वजवाहक बनाया जाएगा।
कार्यकुशलता को बढ़ावा देने वाला बजट
भ्रष्टाचार और कामचोरी रोकने के लिए आवश्यक है कि बाजार के नियम को लागू किया जाए। प्रस्तुत बजट, कार्यकुशलता को बढ़ावा देने वाला है, सरकार के 5 ट्रिलियन डॉलर के विजन को साकार करने में सक्षम है। सरकार सब्सिडी और संरक्षण से हट कर कौशल विकास पर खर्च बढ़ा रही हैं, जो कुछ लोगों को पसंद नहीं आ रहा है। देश का भविष्य विदेशों से समान खरीदने में नहीं बल्कि तकनीकि विकास में है। इसके लिए अनुशासन के कड़वे घूंट पीने होंगे।
नई बोतल में पुरानी शराब
कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य ने केंद्रीय बजट को नई बोतल में पुरानी शराब के उदाहरण से समझाया। उन्होंने कहा कि मात्र बोतल को बदल दिया गया है। बजट में कोई बदलाव नहीं हुआ है। यह सब दिखावा मात्र है। इससे किसी का कोई हित नहीं होना है।
स्मार्ट सिटी के साथ गांव भी बने स्मार्ट
केंद्र सरकार का आम बजट किसानों, गरीबों व मजदूरों को केंद्रित करके नहीं बनाया गया है। किसानों के लिए जो वादे सरकार ने इस बजट में किए हैं, यही वादे विगत सात वर्षों से केंद्र सरकार किसानों के लिए करती आ रही है। सरकार कहती है कि एमएसपी पर खरीददारी करेंगे और किसान कहता है कि एमएसपी को कानून बनाना चाहिए। स्मार्ट सिटी के साथ-साथ गांव को भी स्मार्ट बनाना चाहिए। कृषि के लिए संसाधन बिजली, पानी, खाद व बीज का कहीं कोई जिक्र नहीं है। जैविक खेती की बात करने वाली सरकार रासायनिक खेती पर ही ज्यादा जोर देती है। सरकार को चाहिए किसानों को उनकी फसल का वाजिब दाम दे।