खालिस्तानी समर्थकों के भारत में प्रवेश के दिन समाप्त हो गए हैं। केंद्र सरकार ने ऐसे भारतीय मूल के विदेशी लोगों के ओसीआई कार्ड को रद्द कर दिया है। इसके कारण किसान यूनियन जैसे आंदोलनों में खालिस्तानी रंग घोलने के प्रयत्नों को विराम लग सकेगा।
वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कनाडा की यात्रा की थी। उस यात्रा में उन्होंने भारतीय मूल के लोगों से भेंट की थी, इसके बाद एक बड़ा कदम केंद्र सरकार ने उठाया था, सरकार ने उन खालिस्तानी समर्थकों को ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया (ओसीआई) का कार्ड दे दिया, जिनका हृदय परिवर्तन हो गया था और वे भारत की एकता अखण्डता के प्रति विश्वास करने लगे थे। यह सब भारत सरकार के उन प्रयत्नों के अंतर्गत लिया गया निर्णय था, जिसमें विदेश में भारतीय मूल के लोगों की भ्रांतियों को दूर किया जा सके।
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भारत विरोधी आंदोलनों में भूमिका
सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार के अधीन संबंधित मंत्रालय ने ओसीआई कार्ड धारकों की एक काली सूची (ब्लैक लिस्ट) भी बनाई है। जो भारत विरोधी गतिविधियों में अब भी सम्मिलित हैं। एक अंग्रेजी अखबार की खबर के अनुसार किसान यूनियन आंदोलन में कई ओसीआई कार्ड धारकों ने विदेश में बैठकर खालिस्तानी रंग घोलने का प्रयत्न किया है। इसके अंतर्गत इनमें से कइयों ने आंदोलन स्थलों का दौरा किया और वहां पर लोगों के अंदर देश विरोधी विचारों का प्रसार किया था। इसमें कनाडा, अमेरिका में रहनेवाले सिखों ने बड़ी भूमिका निभाई है। ऐसे लोगों को जारी किये गए ओसीआई कार्ड अब रद्द कर दिये गए हैं। इसके अलावा काली सूची में जिन लोगों के नाम हैं, वे भारत में प्रवेश नहीं कर पाएंगे।
उन्हें चेतावनी
भारत सरकार का वर्तमान कदम खालिस्तानी समर्थकों को कड़ा संदेश है। किसान यूनियन आंदोलन में पाकिस्तान समर्थित खालिस्तानी शक्तियों ने बड़ा षड्यंत्र रचा और इस आंदोलन को किसानों के नाम पर खालिस्तानी गतिविधियों की ओर मोड़ने का प्रयत्न किया था। ऐसे लोगों की भारत में प्रवेश बंदी बड़ा कदम है। इसके अलावा अब सरकार की सूची में शामिल लोगों को वीजा मिलने में भी बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ेगा।
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काली सूची में हैं इनके नाम
अंग्रेजी दैनिक में छपी खबर के अनुसार इस सूची में उन लोगों के नाम रखे गए हैं, जिन्होंने 1980-90 के दशक में खालिस्तानी हिंसा का समर्थन किया था। इन लोगों ने विदेशों से खालिस्तानी आतंकियों को धन उपलब्ध कराया था। इसके अलावा भारत में खालिस्तानी विचारों के समर्थन के लिए सहायता की थी। ऐसे ही लोगों पर इस बार किसान यूनियन आंदोलन में भी देश विरोधी विचारों को बढ़ावा देने का आरोप है। इस षड्यंत्र में जिसके भी तार जुड़े मिले हैं, उन सभी के नामों को काली सूची में शामिल किया गया है।
विदेश में खालिस्तानियों का भारत विरोधी आंदोलन
- कनाडा में मो धालीवाल, अनीता लाल और जगमीत सिंह इसके अलावा अमेरिका में गुरपतवंतसिंह पन्नू आदि का नाम है
- इन लोगों ने भारतीय उच्चायोग के समक्ष प्रदर्शन किया और षड्यंत्र के अंतर्गत छवि धूमिल करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं
- रिहाना, ग्रेटा थनबर्ग के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुद्दा उठाने का प्रयत्न, आंदोलन का टूल किट सोशल मीडिया के जरिये किया वायरल
- अमेरिका में गुरपतवंतसिंह पन्नू ने किया भारत विरोधी आंदोलन
- इंग्लैंड में एक भारतीय मूल के सांसद ने पार्लियामेंट में उठाया मुद्दा, प्रधानमंत्री ने किया खारिज कर दिया
ये हैं खालिस्तानी आतंकी
Ο परमजीत सिंह पंजवार – लाहौर से खालिस्तान कमाडो फोर्स का संचालन करता है
वाधवा सिंह बब्बर – बब्बर खालसा एंटरनेशनल का प्रमुख वाधवा सिंह बब्बर भारत में खालिस्तानी आतंक को बढ़ावा देने के अलावा लाहौर से नकली भारतीय मुद्राओं को तस्करी के माध्यम से भेजता था।
Ο गजिंदर सिंह हाइजैकर – लाहौर से दल खालसा (इंटरनेशनल) के माध्यम से सिख ग्रंथियों के बल पर सिखों पर आधारित राजनीति को खालिस्तान के समर्थन में करने का षड्यंत्र करता रहा
Ο रणजीत सिंह नीता – यह भी लाहौर में बैठकर खालिस्तानी जिंदाबाद फोर्स चलाता है। इसके संगठन का जुड़ाव हिज्बुल मुजाहिद्दीन के साथ माना जाता रहा है। आरोप है कि ड्रोन के माध्यम से इसका आतंकवादी संगठन पंजाब में हथियार भेजता है।
Ο लखबीर सिंह रोडे – यह खालिस्तानी आतंकी जरनैल सिंह भिंडरावाले का भांजा है। इसके संगठन का नाम इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन है। यह ननकाना साहिब में रहता था और वहीं से यूरोप में खालिस्तान के लिए समर्थन जुटाता रहा है।
Ο गुरपतवंत सिंह पन्नू – यह अमेरिका में टैक्सी चलाता था, परंतु कुछ समय में ही इसके पास अकूत धन संपत्ति आ गई और अब यह ‘सिख फॉर जस्टिस’ (एसएफजे) के नाम से संगठन चलाता है। सूत्रों के अनुसार इसका न्यूयॉर्क में कार्यालय है जहां से पन्नू एसएफजे के लीगल एडवाइजर के रूप में काम संभालता है और वर्तमान में ‘खंडा या तिरंगा’ नाम से भारत विरोधी आतंकी षड्यंत्र चला रहा है। इसके पहले यह ‘रेफरेंडम 2020’ नाम से पंजाब में स्वतंत्र खालिस्तान निर्माण के लिए सिखों का जनमत संग्रह कराने की बांक दे रहा था, जो पूर्ण रूप से असफल हुआ। इसका संबंध पाकिस्तान में बैठे खालिस्तानी आतंकियों से सीधा रहा है तथा पाकिस्तानी दूतावास से इसे फंड मिलने की भी जानकारी मिलती रही है। पन्नू, कनाडा का गुरमीत सिंह, मनमंदर मो धालीवाल का सीधा संबंध भारत में चल रहे किसान आंदोलन से जोड़ा जाता रहा है। ये लोग टूलकिट बनवाने, वायरल करने, भारतीय दूतावासों के बाहर प्रदर्शन करने की गतिविधियों में लिप्त रहे हैं।