महिलाओं के खिलाफ अपराध पर प्रधानमंत्री ने कहा, “जीरो टॉलरेंस नीति …!”

प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) के 30वें स्थापना कार्यक्रम को संबोधित करते हुये कहा कि तीन दशक का पड़ाव व्यक्ति के जीवन और संस्था के लिए बहुत अहम होता है।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महिला सुरक्षा को सरकार की प्राथमिकता बताते हुए कहा कि हम महिलाओं के खिलाफ अपराध पर ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि महिला सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं देने वालों को महिलाओं ने सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने 31 जनवरी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) के 30वें स्थापना कार्यक्रम को संबोधित करते हुये कहा कि तीन दशक का पड़ाव व्यक्ति के जीवन और संस्था के लिए बहुत अहम होता है। उन्होंने कहा कि ये समय नई जिम्मेदारियों और नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने का होता है।

महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी
प्रधानमंत्री ने कहा कि महिलाएं जब संकल्प लेती हैं तो उसी की दिशा तय करती हैं। इसीलिए जब भी कोई सरकार महिला सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं देती है, महिलाओं ने सत्ता से उनका प्रस्थान सुनिश्चित किया है। मोदी ने जोर देकर कहा कि सरकार महिलाओं के खिलाफ अपराध के लिए जीरो टॉलरेंस की नीति के साथ काम कर रही है। बलात्कार के जघन्य मामलों के लिए मौत की सजा सहित इस संबंध में सख्त कानून हैं। फास्ट ट्रैक कोर्ट हैं और पुलिस थानों में अधिक महिला हेल्प डेस्क, 24 घंटे हेल्पलाइन, साइबर अपराधों से निपटने के लिए पोर्टल जैसे कदम उठाए जा रहे हैं।

महिलाओं की भूमिका का हो रहा है विस्तार
एनसीडब्ल्यू के विस्तार की भूमिका को समय की मांग बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज बदलते हुए भारत में महिलाओं की भूमिका का निरंतर विस्तार हो रहा है। इसलिए राष्ट्रीय महिला आयोग की भूमिका का विस्तार भी आज समय की मांग है। ऐसे में आज देश के सभी महिला आयोगों को अपना दायरा भी बढ़ाना होगा और अपने राज्य की महिलाओं को नई दिशा भी देनी होगी।

इन उद्योगों में महिला-पुरुष की भूमिका एक समान
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को रेखांकित करते हुए कहा कि सदियों से भारत की ताकत हमारे छोटे स्थानीय उद्योग रहे हैं। इन एमएसएमई उद्योगों में पुरुषों और महिलाओं की भूमिका समान होती है।

पुरानी सोच को बदलना होगा
महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने की दिशा में उठाये गये विभिन्न कदमों का हवाला देते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि पुरानी सोच वालों ने महिलाओं के स्किल्स को घरेलू कामकाज का ही विषय मान लिया था। देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए इस पुरानी सोच को बदलना जरूरी है। उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया आज यही काम कर रहा है। आत्मनिर्भर भारत अभियान महिलाओं की इसी क्षमता को देश के विकास के साथ जोड़ रहा है। उन्होंने कहा कि मुद्रा योजना के लाभार्थियों में लगभग 70 प्रतिशत महिलाएं हैं। करोड़ों महिलाओं ने योजना का उपयोग करके अपना व्यवसाय शुरू किया है। देश में पिछले 6-7 वर्षों में महिला स्वयं सहायता समूहों की संख्या में तीन गुना वृद्धि देखी गई है। इसी तरह 2016 के बाद उभरे 60 हजार से ज्यादा स्टार्टअप्स में 45 फीसदी में कम से कम एक महिला डायरेक्टर हैं।

बढ़ रही है महिलाओं की भागीदारी
प्रधानमंत्री ने कहा कि नये भारत के विकास चक्र में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है। महिला आयोगों को समाज की उद्यमिता में महिलाओं की इस भूमिका को बढ़ावा देने और अधिकतम मान्यता देने के लिए काम करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने बताया कि 2015 से अब तक 185 महिलाओं को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। इस साल भी विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार पाने वालों में 34 महिलाएं शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह एक रिकॉर्ड है क्योंकि महिलाओं को दिए जाने वाले इतने पुरस्कार अभूतपूर्व हैं।

सात वर्षों में बदली है तस्वीर
उन्होंने कहा कि पिछले 7 सालों में देश की नीतियां महिलाओं को लेकर और अधिक संवेदनशील हुई हैं। आज भारत उन देशों में है जो अपने यहां सबसे अधिक मातृत्व अवकाश देता है। कम उम्र में शादी बेटियों की पढ़ाई और करियर में बाधा न बने, इसके लिए बेटियों की शादी की उम्र पुरुषों के बराबर 21 साल करने के लिए एक विधेयक पेश किया है।

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