गुजरात में पहले चरण का मतदान समाप्त हो गया। 1 दिसंबर को कराए गए मतदान में शाम पांच बजे तक मात्र 59.2 प्रतिशत वोटिंग हुई। यह आंकड़ा 2017 की तुलना में काफी कम है। 2017 के चुनाव में पहले चरण में 68 प्रतिशत वोट डाले गए थे। हालांकि अभी मतदान में कुछ प्रतिशत वृद्धि होने की उम्मीद है। छिटपुट अप्रिय घटनाओं को छोड़ दें तो मतदान शांतिपूर्ण रहा।
लाख टके का सवाल है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के गृह प्रदेश में कम वोटिंग का लाभ किस पार्टी को मिलेगा? पहले चरण में दक्षिण गुजरात, सौराष्ट्र और कच्छ में मतदान कराए गए।
सत्ताधारी पार्टी को फायदा या..
जानकार मानते हैं कि किसी चुनाव में कम मतदान होने का लाभ सत्ताधारी पार्टी को होता है। इसके पीछे तर्क यह है कि जब मतदाता संतुष्ट होते हैं तो वे मतदान में ज्यादा रुचि नहीं लेते। इसके उलट अधिक मतदान को बदलाव के रूप में देखा जाता है। हालांकि इन दोनों ही मामलों में पक्के तौर पर कुछ भी कहना मुश्किल है। अब इवीएम में बंद उम्मीदवारों और पार्टियों की किस्मत के बारे में 8 दिसंबर को वोटों की गिनती के बाद ही पता चल पाएगा।
27 वर्ष से भाजपा की सत्ता
बता दें कि गुजरात में 27 साल से भारतीय जनता पार्टी की सत्ता है और इस बार भी उसकी जीत तय मानी जा रही है। हालांकि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने चुनाव प्रचार में मतदाताओं को रिझाने की काफी कोशिश की है, लेकिन लगता नहीं है कि इन दोनों को कोई अधिक लाभ मिलने वाला है। आम आदमी पार्टी की ओपनिंग होने की उम्मीद की जा सकती है, वहीं कांग्रेस की सीटें और कम होने की पूरी संभावना है।
5 दिसंबर को दूसरे और अंतिम चरण का मतदान
अब दूसरे और अंतिम चरण का मतदान पांच दिसंबर को होगा, जबकि मतगणना 8 दिसंबर को होना है। 182 सदस्यीय विधानसभा में सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़ा 92 है। 2017 में भाजपा ने 99 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि कांग्रेस ने 77 सीटें जीती थीं। इस बार कांग्रेस की सीटें 60 से भी कम होने की उम्मीद है।