Delhi: ‘ज्ञानोबा-तुकाराम की मराठी को राजधानी दिल्ली का नमस्कार’- पीएम ने मराठी में की भाषण शुरुआत, वीर सावरकर का भी किया जिक्र

अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन 21 फरवरी को दिल्ली में शुरू हुआ। 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया।

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Delhi: प्रधानमंत्री मोदी ने मराठी साहित्य सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर कहा, “आज शरद पवार के निमंत्रण पर मुझे इस गौरवशाली परंपरा से जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।”

पीएम मोदी ने आगे कहा,” मराठी साहित्य का यह समागम महाराष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है। आज राजधानी दिल्ली ज्ञानोबा तुकाराम की मराठी को अभिवादन कर रहा है। देश ने अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन को इसके प्रथम आयोजन से ही देखा है। महादेव गोविंद रानाडे, हरिनारायण आप्टे, माधव श्रीहरि अणे, वीर सावरकर तथा देश की अनेक महान विभूतियों ने इस सम्मेलन की अध्यक्षता स्वीकार की है।”

अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन 21 फरवरी को दिल्ली में शुरू हुआ। 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। वे उस समय बोल रहे थे।

इस सम्मेलन के लिए मराठी के दिग्गज साहित्यकार दिल्ली में एकत्रित हुए हैं। देश-विदेश से बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी भी मौजूद हैं। इस अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन की अध्यक्ष डॉ. तारा एक भावलकर है। सम्मेलन के स्वागताध्यक्ष शरद पवार और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस भी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। मराठी साहित्य सम्मेलन के उद्घाटन के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अपना भाषण मराठी में शुरू किया। प्रधानमंत्री ने मराठी में अपना भाषण शुरू करते हुए कहा, “मराठी साहित्यकारों को मेरा अभिवादन।”

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस अवसर पर कहा, ‘‘आज अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस है। आपने दिल्ली में साहित्य सम्मेलन के लिए भी बहुत अच्छा दिन चुना है। जब मैं मराठी भाषा के बारे में सोचता हूं, तब मुझे संत ज्ञानेश्वर महाराज की एक कविता याद आती है। मराठी भाषा अमृत से भी मीठी है। इसीलिए मुझे मराठी भाषा बहुत पसंद है।” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, “मैंने हमेशा मराठी बोलने की कोशिश की है।”

“मराठी साहित्य सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक को 350 वर्ष हुए हैं। प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ‘‘इसके अलावा, पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती भी पूरी हो गई है।’’

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