तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे और राज्य सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन के विवादास्पद बयान को लेकर सामाजिक संगठनों से जुड़े युवाओं में नाराजगी बढ़ रही है। 6 अक्टूबर को जिला मुख्यालय पर ज्ञानवापी मुक्ति महापरिषद के बैनर तले जुटे कार्यकर्ताओं और अधिवक्ताओं ने उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और उनका प्रतीक पुतला भी फूंका।
महापरिषद के संयोजक राजा आनंद ज्योति सिंह के नेतृत्व में जुटे अधिवक्ताओं ने उदयनिधि स्टालिन की ‘सनातन धर्म’ पर विवादित टिप्पणी की निंदा की। स्टालिन ने दो सितंबर को तमिलनाडु में आयोजित एक कार्यक्रम में सनातन धर्म को कई ‘सामाजिक बुराइयों के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए इसे समाज से खत्म करने की बात कही थी। जिला मुख्यालय पर पुतला दहन के पूर्व ज्ञानवापी मुक्ति महापरिषद के कार्यकर्ताओं ने बैठक की।
विपक्ष पर आरोप
बैठक में काशी हिंदू विश्वविद्यालय, पत्रकारिता विभाग के आचार्य डॉक्टर ज्ञान प्रकाश मिश्रा ने बताया कि गत दिनों मुंबई में हुई बैठक में मौजूदा सरकार के विरुद्ध विपक्षी गठबंधन के पहले ही सत्र में खुले मंच से उदयनिधि स्टालिन का यह बयान कि “सनातन को समाप्त करने के लिए सभी विपक्षी दल एकजुट हैं” बेहद शर्मनाक, आपत्तिजनक एवं निंदनीय है। दल का विरोध करते हुए कुछ राजनेता सनातन संस्कृति और हिंदू धर्म का विरोध करने लगे हैं, जो बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है। सनातन हिंदू धर्म इस देश का प्राण है और सनातन धर्म के विचारों के कारण ही पूरे विश्व में भारत को सम्मान प्राप्त होता है। ऐसे में राजनैतिक मंच से खुलेआम सनातन धर्म को समाप्त करने की बात कहना इस देश को समाप्त करने की भावना का प्रकट होना है।
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कुल्हाड़ी और बुर्का भेजने का निर्णय
अभिषेक निगम ने बताया कि महापरिषद ने अपने व्यय पर उदयनिधि स्टालिन को खतना करने के लिए कुल्हाड़ी और उनके असली पहचान को सामने लाने के लिए बुर्का उनके पते 25/9 चित्रा रंजन सिलाई सेनोटाफ, दूसरी गली, टेयनमपेट, चेन्नई, तमिल नाडू 600018 पर भेजने का निर्णय किया है। राजा आनंद ज्योति सिंह ने बताया कि महापरिषद ने निर्णय किया है कि अधिक से अधिक रामलीला समितियों से संपर्क कर उनको भी उदयनिधि स्टालिन का पुतला उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे दशहरे के पर्व पर रावण के साथ सनातन धर्म को मिटाने का स्वप्न देखने वाले उदयनिधि स्टालिन का भी पुतला फूंका जा सके।
बैठक में ये रहे उपस्थित
बैठक की अध्यक्षता अनिल रावल शास्त्री, संचालन सह संयोजक पतञ्जलि पाण्डेय ने किया। बैठक में प्रतीक सर्राफ,पियूष सिंह, जुलुम सिंह, विनायक मिश्र आदि ने भागीदारी की।