देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है, इस काल में भी किसानों के नाम से आंदोलन करनेवाले नेता पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। यह तथाकथित किसान पंजाब में एक पार्टी विशेष के नेता और कार्यकर्ताओं को तो मारपीट रहे ही हैं अब हरियाण में भी वहीं काम करने लगे हैं। जब उनकी इस करतूत पर कानूनी कार्रवाई हुई तो वे झुंडशाही पर उतर आए हैं।
केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में चल रहा एक विशेष यूनियन का आंदोलन हरियाणा के हिसार में भी किया जा रहा है। इस आंदोलन की शुरुआत ही एक स्थानीय नागरिक की मौत से हुई। जिसे दिल का दौरा पड़ गया। उसका नाम 70 वर्षीय अजायब सिंह था। यह आंदोलन पिछले दिनों मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के कार्यक्रम स्थल पर विरोध और उत्पात मचानेवाले किसानों पर दर्ज मामले को रद्द करने को लेकर है।
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कृषि क़ानून के विरोध के नाम पर कुछ उपद्रवियों द्वारा आज हिसार में जमकर मचाये गए उत्पाद की सच्चाई, 5 महिला पुलिस कर्मियों सहित 20 पुलिसकर्मी घायल pic.twitter.com/EfMcfLXgQC
— Haryana Police (@police_haryana) May 16, 2021
आंदोलन को जीवित रखने के लिए उत्पात?
किसान यूनियनों का आंदोलन समय के साथ सीमित संख्या का होता जा रहा है। इसमें ईंधन के रूप में सरकार का विरोध करने, जनप्रतिनिधियों पर हमला करने और पुलिस द्वारा कार्रवाई किये जाने पर विरोध भड़काने का काम किया जाता है। इस आंदोलन के विषय में जानकारों का कहना है कि यह यूनियनों की मनमानी है। वे झुंड (भीड़) के बल पर कानून को धत्ता बताना चाहते हैं। हिसार में हो रहे आंदोलन में भारतीय किसान आंदोलन के प्रवक्ता राकेश टिकैत भी पहुंचे थे। उन्होंने इस आंदोलन को लगातार चलाने की घोषणा की है।
I appreciate the patience and bravery displayed today by Police personnel, in confronting the unruly mob and saving the newly inaugurated Sanjeevni COVID Hospital at Hisar from damage. Each of the injured police personnel will be given Rs 5000 for their diet and medical needs.
— DGP Haryana Police (@DGPHaryana) May 16, 2021
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इसलिए हुआ था मामला दर्ज
16 मई, 2021 को हिसार में मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर कोविड अस्पताल का उद्घाटन करने गए थे। इस बीच वहां पहले से ही इकट्ठा भीड़ ने प्रदर्शन शुरू कर दिया। उन्हें रोकने गई पुलिस के साथ आंदोलनकारी भिड़ गए, जिसमें पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। इसमें किसान यूनियन के दर्जन भर लोग घायल हो गए थे। पुलिस पर हुए हमले में पांच महिला कांस्टेबल और 15 पुलिस कांस्टेबलों सहित बीस लोग घायल हुए थे। पुलिस ने इस प्रकरण में किसान यूनियन के 350 लोगों पर भारतीय दंड विधान की अलग-अलग धाराओं के अंतर्गत प्रकरण दर्ज किया था।