- नरेश वत्स
Haryana Assembly Polls: हरियाणा (Haryana) में तीसरी बार सत्ता के लिए कोशिश कर रही भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) टिकट बंटवारे (ticket distribution) में फूंक फूंक कर कदम रख रही है।
वहीं कांग्रेस (Congress) के लिए चुनाव से पहले ही सूत न कपास जुलाहे संग लट्ठम लट्ठा की कहावत चरितार्थ हो रही है। मुख्यमंत्री पद (Chief Minister post) को लेकर कांग्रेस में दावेदारों की लंबी सूची हो गई है।
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कांग्रेस में कलह की आशंका
कांग्रेस का दलित चेहरा सिरसा से सांसद कुमारी शैलजा ने स्पष्ट कर दिया है कि वह हर हाल में विधानसभा चुनाव लड़ेंगी। कुमारी शैलजा का यह बयान हरियाणा कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया के बयान के उस बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि कोई भी सांसद विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेगा। कुमारी शैलजा ने कहा कि मुझे विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए हाई कमान की अनुमति लेनी पड़ी तो जरूर लूंगी। समझा जाता है कि कांग्रेस के दूसरे दिग्गज नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला भी कुमारी शैलजा के साथ खड़े हैं। अगर सांसद चुनाव लड़ते हैं तो रोहतक से सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा और रणदीप सिंह सुरजेवाला भी विधानसभा चुनाव के मैदान में आ सकते हैं। ऐसे में कांग्रेस की गुटबाजी को रोकना कांग्रेस आला कमान के लिए एक चुनौती बन गई है।
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भाजपा ने बदली रणनीति
10 साल के शासनकाल के बाद बीजेपी ने अपनी रणनीति बदल दी है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी लाडवा से चुनाव लड़ सकते हैं। बीजेपी ने अपने 50 उम्मीदवारों की सूची को हरी झंडी दे दी है, जिनके सिंगल नाम केंद्रीय आला कमान को भेजे गए। बीजेपी दो दर्जन सीटों पर नए चेहरों को चुनाव मैदान में उतारेगी। कई विधायकों और मंत्रियों के टिकट कटने तय हैं। लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद में बदलाव कर दिया था। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाकर ओबीसी वोटरों को बड़ा संदेश देने की कोशिश की थी। देखना होगा कि नायब सिंह सैनी बीजेपी की चुनावी नैया को कैसे पार लगाते हैं।
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संघ का सहयोग
लोकसभा चुनाव में जिस तरह से नतीजे आए हैं, उससे सीख लेते हुए भाजपा के रणनीतिकार हरियाणा की 15वीं विधानसभा चुनाव में शुरू से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भरोसे में लेकर चल रहे हैं। बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाने के कारण अपनी रणनीति में बदलाव किया है। भाजपा ने केंद्रीय चुनाव समिति को जो पैनल भेजे हैं, उनमें संघ की राय को प्रमुखता से शामिल किया गया है।
ग्राउंड सर्वे की रिपोर्ट
आरएसएस और भाजपा के ग्राउंड सर्वे में हालांकि कई मौजूदा मंत्री और विधायक चुनाव जीतने की स्थिति में नहीं है लेकिन पार्टी ने केंद्रीय चुनाव समिति को भेजे पैनलों में उनके नाम इसलिए रखे हैं ताकि चुनाव में किसी दूसरे को टिकट मिलने पर उनके विरोध को काम किया जा सके। आरएसएस की सहमति के बाद भाजपा की प्रदेश चुनाव समिति ने हरियाणा से तीनों केंद्रीय मंत्रियों मनोहर लाल. कृष्ण पाल गुर्जर और राव इंद्रजीत के साथ सभी सांसदों राज्यसभा सदस्य तथा पूर्व सांसदों के बीच विधानसभा चुनाव लड़ने पर सहमति जताई है। बीजेपी ने हरियाणा में अधिकतर दिग्गजों को चुनाव लड़वाकर कांग्रेस को सत्ता में आने से रोकने की रणनीति बनाई है।
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खतरे में ताऊ की इनेलो पार्टी का अस्तित्व
इंडियन नेशनल लोकदल हरियाणा में सत्ता से 19 सालों से दूर है। सरकार में वापसी के लिए इंडियन नेशनल लोकदल ने तीसरी बार बहुजन समाज पार्टी से समझौता किया है। गठबंधन में 53 सीटों पर इंडियन नेशनल लोकदल चुनाव लड़ेगा और बसपा 37 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। दोनों दल रणनीति पिछड़ा और जाट समुदाय के गठजोड़ का समीकरण बनाकर बीजेपी और कांग्रेस को चुनौती देने की रणनीति बना रहे हैं।
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दुष्यंत चौटाला ने चंद्रशेखर से मिलाया हाथ
हरियाणा में साढ़े चार साल तक बीजेपी के साथ गठबंधन करने वाली जननायक जनता पार्टी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए नया राजनीतिक साथी ढूंढ लिया है। जननायक जनता पार्टी हरियाणा में सांसद चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण के नेतृत्व वाली आजाद समाज पार्टी कांशीराम के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ेगी। चंद्रशेखर रावण उत्तर प्रदेश के नगीना से सांसद हैं।
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सपा ने कांग्रेस से मांगी सीटें
समाजवादी पार्टी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से तीन से पांच सीटों पर अपनी दावेदारी जताई है। ये सीटें दक्षिण हरियाणा में हैं, जो यादव और मुस्लिम बाहुल्य है। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से इस बारे में अपनी बात कही है। समाजवादी पार्टी का मानना है कि हरियाणा में 11 सीटें यादव और 7 सीटें मुस्लिम बहुल हैं। इनमें पांच सीटों पर वह चुनाव लड़ सकती है । सपा दक्षिण हरियाणा की महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, सोनीपत, फरीदाबाद, गुरुग्राम, नूंह और पलवल सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े कर सकती है।
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कई मंत्री-विधायक जीतने की स्थिति में नहीं
आरएसएस और भाजपा के ग्राउंड सर्वे में हालांकि कई मौजूदा मंत्री और विधायक चुनाव जीतने की स्थिति में नहीं है लेकिन पार्टी ने केंद्रीय चुनाव समिति को भेज पैनलों में उनके नाम इसलिए रखे हैं ताकि चुनाव में किसी दूसरे को टिकट मिलने पर उनके विरोध को काम किया जा सके। रस की सहमति के बाद भाजपा की प्रदेश चुनाव समिति ने हरियाणा से तीनों केंद्रीय मंत्रियों मनोहर लाल कृष्ण पाल गुर्जर और राव इंद्रजीत के साथ सभी सांसदों राज्यसभा सदस्य तथा पूर्व सांसदों के बीच विधानसभा चुनाव लड़ने पर सहमति जताई है। बीजेपी ने हरियाणा में अधिकतर दिग्गजों को चुनाव लड़वाकर कांग्रेस को सत्ता में आने से रोकने की रणनीति बनाई है।
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