Haryana: विधानसभा चुनाव जीतने के लिए भाजपा ने बनाई रणनीति, धर्मेन्द्र प्रधान का रोल अहम

वर्तमान परिस्थितियां बताती है कि कांग्रेस के लिए हरियाणा में जीत अभी भी दूर की कोढ़ी ही है, क्योंकि संगठनात्मक शक्ति, कार्य योजना और नेतृत्व क्षमता के चलते बीजेपी के सामने कांग्रेस अभी भी कहीं नहीं ठहरती।

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Haryana: हरियाणा (Haryana) में बीजेपी (BJP) ने नई रणनीति (strategy) बनाई है। केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) और बीजेपी के हरियाणा प्रभारी विप्लव देव (Biplab Dev) की जोड़ी से विपक्षी दलों में बेचैनी है। लोकसभा की पांच सीटें जीतने के बाद भले ही कांग्रेस हरियाणा में सरकार बनाने के सपने संजो रही है, लेकिन बीजेपी ने हरियाणा में तीसरी बार हैट्रिक बनाने की जोरशोर से तैयारी कर दी है।

वर्तमान परिस्थितियां बताती है कि कांग्रेस के लिए हरियाणा में जीत अभी भी दूर की कोढ़ी ही है, क्योंकि संगठनात्मक शक्ति, कार्य योजना और नेतृत्व क्षमता के चलते बीजेपी के सामने कांग्रेस अभी भी कहीं नहीं ठहरती।

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जोड़ी का ट्रेक रिकॉर्ड
धर्मेंद्र प्रधान और बिप्लब कुमार देब की जोड़ी का ट्रेक रिकॉर्ड भी कांग्रेस में बेचैनी बढ़ाने वाला है। ओडिशा में नवीन पटनायक की 24 साल पुरानी सरकार को उखाड़ फैंकने वाली इस जोड़ी को केंद्रीय नेतृत्व ने हरियाणा में जीत का जिम्मा सौंपा है। दोनों ही नेता मुख्यमंत्री नायब सैनी, कैबिनेट मंत्री मनोहर लाल सहित तमाम नेताओं से बेहतर ट्युनिंग बनाकर आगे बढ़ रहे हैं।

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विधानसभा चुनाव जीतने की रणनीति
हरियाणा विधानसभा चुनाव सह प्रभारी बिप्लब देब ने प्रदेश के जिलों में अपने दौरे की शुरुआत कर दी है । जिसमें प्रदेश के प्रत्येक जिले में रहने वाले मंडल, जिला व प्रदेश स्तर के सभी पदाधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। उनके मन की बात जानेंगे और विधानसभा चुनाव जीतने की रणनीति पर चर्चा करेंगे। बिप्लब यहां बोर्ड निगमों के चेयरमैन, वाइस चेयरमैन, मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर, डिप्टी मेयर, विधायक, पूर्व विधायक, पूर्व में रहे प्रत्याशियों से भी चुनाव की रणनीति पर चर्चा करेंगे और जीत का मंत्र फूंकेंगे।

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संगठनात्मक ढांचा नहीं
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चुनाव जीतने की एक पूरी योजना पार्टी के नेताओं के सामने रखी। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अमित शाह की बताई कार्य योजना को भाजपा धरातल पर उतार पाई तो भाजपा को तीसरी बार भी सत्ता में आने से कोई नहीं रोक सकता। बीजेपी द्वारा पंचकूला में की गई विस्तृत कार्यकारिणी बैठक जैसी कोई बैठक करना भी कांग्रेस के लिए वर्तमान में संभव दिखाई नहीं देता। क्योंकि बीजेपी की इस बैठक में मंडल स्तर के 5 हजार से अधिक दायित्ववान कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया था, जबकि कांग्रेस के पास इस तरह का कोई संगठनात्मक ढांचा नहीं है। कांग्रेस द्वारा निकट भविष्य में भी ऐसा संगठन खड़ा करने की संभावना दिखाई नहीं देती।

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नेतृत्व क्षमता और रणनीतिक लिहाज से भी बीजेपी का ही पलड़ा भारी
हरियाणा में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी ने कद्दावर नेता धर्मेंद्र प्रधान, बिप्लब कुमार देब को चुनाव जिताने की जिम्मेदारी सौंपी हैं और उनके साथ सतीश पूनिया और सुरेन्द्र नागर जैसे बड़े नेताओं को भी हरियाणा में चुनावी पिच पर उतारा है। इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री नायब सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल, केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर, केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, अनिल विज, कैप्टन अभिमन्यु, ओमप्रकाश धनखड़, कुलदीप बिश्नोई जैसे पब्लिक में अपनी पकड़ रखने वाले नेताओं की लंबी लिस्ट बीजेपी के पास है। संगठनात्मक लिहाज से भी कांग्रेस हरियाणा में एक लंबे समय से कोई ऐसा मैकेनिज्म नहीं बना पाई है, जिससे कांग्रेस लोगों में अपने प्रति विश्वास पैदा कर सके जो संगठनात्मक दृष्टि से भाजपा ने करके दिखाया है।

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