Haryana Political Crisis: सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती आ गई है। तीन निर्दलीय विधायकों (three independent MLAs) का नायब सिंह सैनी (Naib Singh Saini) सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद चर्चा शुरू हो गई है। क्या हरियाणा (Haryana) में बीजेपी की सरकार गिर जाएगी? लोकसभा चुनाव के समय में तीन विधायकों का समर्थन लेना क्या एक रणनीति है? या फिर सरकार को गिराना है। हरियाणा में राजनीति तेजी से बदली है। हरियाणा कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupendra Singh Hudda) गुट हावी है।
22 फरवरी 2024 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल के विरुद्ध कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी उसे समय भाजपा बहुमत साबित करने में सफल हो गई थी इसके बाद मनोहर लाल के स्थान पर नायब सिंह सैनी 12 मार्च को प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और 13 मार्च को विधानसभा में उन्होंने अपनी सरकार का बहुमत साबित किया।
मुश्किल में नायब सिंह सैनी सरकार?
हरियाणा विधानसभा में विधायकों की कुल संख्या 90 है जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और हरियाणा के पूर्व मंत्री रणजीत सिंह चौटाला की सीटे खाली है। बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर को करनाल और रंजीत सिंह चौटाला को हिसार से अपना प्रत्याशी बनाया है। विधानसभा में बीजेपी के पास 40, कांग्रेस के पास 30, जननायक जनता पार्टी के पास 10, निर्दलीय 6, इंडियन नेशनल लोकदल और हरियाणा लोकहित पार्टी के पास एक-एक विधायक है। मौजूदा विधानसभा की 88 सीटों के आधार पर बीजेपी को 45 विधायकों का समर्थन चाहिए। लेकिन नायब सिंह सैनी के पास फिलहाल 43 विधायकों का समर्थन है।
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कांग्रेस में भी गुटबाजी
कांग्रेस के पास 30 विधायक है। लेकिन हरियाणा कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी चरम पर है। हरियाणा में लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी के चयन में हुड्डा गुट की चली है। जबकि कुमारी शैलजा, किरण चौधरी और रणदीप सिंह सुरजेवाला को महत्व नहीं मिला। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि अभी सरकार को कोई खतरा नहीं है और कहीं दूसरी पार्टियों के विधायक भी बीजेपी के संपर्क में है। सबसे बड़ा सवाल यह है की क्या इस साल सितंबर महीने में होने वाले विधानसभा चुनाव के होने है। सरकार गिराने के खेल को कोई पार्टी खेलेगी?
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