अब मोबाइल फोन पर विधान सभा का सीधा प्रसारण देखना संभव नहीं होगा। हरियाणा सचिवालय ने विधान सभा अध्यक्ष की मंजूरी के बाद दिशानिर्देश जारी किये हैं। जिनके अनुसार ‘वेब चैनल’ और ‘सोशल मिडिया’ द्वारा विधान सभा प्रसारण के प्रसारण पर पाबंदी लग गई है। इस निर्णय के बाद लोगों ने कहना शुरू कर दिया है कि विधान सभा के सभी कवरेज अब ‘अनसोशल’ मीडिया (सोशल मीडिया के व्यतिरिक्त) द्वारा ही होंगे।
विधान सभा के नए नियमों के अनुसार टीवी चैनलों द्वारा भी सोशल मीडिया पर विधान सभा का सीधा प्रसारण नहीं किया जा सकता। इसके उल्लंघन पर संबंधित टीवी चैनल पर प्रतिबंधित का प्रावधान भी रखा गया है।
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न्यायालय से गुहार
हरियाणा विधान सभा सचिवालय द्वारा जारी किये गए नए दिशानिर्देशों को वापस लेने के लिए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में एड. प्रदीप कुमार रापड़िया और उनके सहयोगियों ने याचिका दायर की है। यह याचिका ‘वेब चैनल’ और ‘सोशल मिडिया’ की ओर से दायर की गई है, जिसमें हरियाणा विधान सभा सचिव को लीगल नोटिस भेजी गई है। याचिका में नए मानदंड और दिशानिर्देशों को मौलिक अधिकारों का हनन करनेवाला कहा गया है।
मौलिक अधिकारों का हनन
विधान सभा प्रसारण से संबंधित नए मानदंड और दिशानिर्देश को संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (क) यानी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता या वाक स्वतंत्रता के विरुद्ध बताया गया है। इसके अलावा नए नियमों को संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (छ) यानी वृत्ति, उपजीविका, व्यापार या कारोबार करने का मूल अधिकार के खिलाफ भी बताया गया है । लीगल नोटिस में ये भी कहा गया है कि विधान सभा के प्रतिबंध लोगों के जानने के अधिकारों की अवहेलना है।
मौजूदा समय में बड़ी-बड़ी मीटिंग्स में भाग लेना हो या दुनिया भर की खबर से अपडेट रहना, आप सब अपने मोबाइल फोन पर कर सकते हैं, लेकिन हरियाणा विधान सभा का लाइव प्रसारण नहीं देख सकते। लीगल नोटिस में एडवोकेट प्रदीप कुमार रापड़िया और उनके सहयोगियों ने लिखा है कि यदि नये मानदंड और दिशानिर्देश वापस नहीं लिए गए तो उन्हें कानूनी कार्यवाही करनी पड़ेगी।
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