अजीत पवार की बगावत से एनसीपी में फूट पड़ गई है। यह मामला केंद्रीय चुनाव आयोग के पास है। 6 अक्टूबर को इस पर सुनवाई हुई। इस सुनवाई के दौरान शरद पवार खुद चुनाव आयोग में मौजूद थे। सुनवाई दो घंटे तक चली। सुनवाई के बाद एनसीपी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बयान दिया है। सिंघवी ने दावा किया है कि अजीत पवार गुट द्वारा फर्जी दस्तावेज जमा किए गए हैं।
अभिषेक सिंघवी ने कहा कि हमने केंद्रीय चुनाव आयोग के सामने दो मुद्दे उठाए। पहला, हमारा पक्ष सुने बिना ही यह तय कर लिया कि पार्टी में विवाद है। ये फैसला गलत हो सकता है, इसलिए चुनाव आयोग से कहा गया है कि पहले हमारा पक्ष सुनें और फिर फैसला सुनाएं।
आयोग सुनेंगे हमारा पक्ष
सिंघवी ने कहा, ”चुनाव आयोग ने कहा है कि प्रथम दृष्टया हमारे विरोध को सही नहीं माना जा सकता। हमें आश्वासन दिया गया है कि याचिकाकर्ता की दलील के बाद हमारी बात सुनी जाएगी। उसके बाद, चुनाव आयोग अंतिम निर्णय लेगा।”
काल्पनिक तर्क
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “कोई भी व्यक्ति झूठे दस्तावेज़ जमा करके यह नहीं कह सकता कि विवाद है। काल्पनिक विवाद पैदा कर दो गुट नहीं दिखाये जा सकते। हम काल्पनिक तर्कों के संदर्भ में बहस कर सकते हैं। इस मुद्दे को प्राथमिक रूप में रखा गया है। उन्होंने कहा, ”बाद में हम इस मुद्दे को विस्तार से उठाएंगे।”
दिखाए गए मृत व्यक्तियों के दस्तावेज
सिंघवी ने कहा, “मृत व्यक्तियों के दस्तावेज अजीत पवार गुट द्वारा चुनाव आयोग के समक्ष प्रस्तुत किए गए। अजीत पवार गुट झूठे दस्तावेज जमा कर पार्टी पर मुकदमा चला रहा है। अजीत पवार गुट ने यह भी कहा है कि दूसरे दलों के बड़े नेता हमारे गुट में हैं। हमने चुनाव आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखा है।” वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि शरद पवार एनसीपी का चेहरा हैं। 6 अक्टूबर को दो घंटे की सुनवाई के बाद अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को होगी। यह सुनवाई शाम 4 बजे होगी।
क्या है शरद पवार गुट का तर्क?
एनसीपी किसकी पार्टी है, हर किसी को पता है। अजीत पवार गुट पार्टी के खिलाफ है। अजीत पवार गुट ने पार्टी के संविधान का पालन नहीं किया। पार्टी का एक गुट अलग हो गया, मूल पार्टी हमारे साथ है। 24 राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष शरद पवार के समर्थन में हैं। पार्टी की स्थापना शरद पवार ने की थी। शरद पवार का अध्यक्ष पद पर चुनाव पार्टी संविधान के आधार पर हुआ है। इसलिए शरद पवार राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। शरद पवार द्वारा लिए गए फैसलों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। प्रदेश अध्यक्ष ने शरद पवार के नेतृत्व को स्वीकार करते हुए पत्र दिया है। शरद पवार गुट ने चुनाव आयोग को दलील दी है कि जब तक कोई फैसला नहीं हो जाता, तब तक चुनाव चिन्ह को फ्रीज नहीं किया जाना चाहिए।
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क्या है अजीत पवार गुट का तर्क?
अजीत पवार गुट में विधानसभा के 42 विधायक, विधान परिषद के 6 विधायक, नागालैंड के 7 विधायक, लोकसभा और राज्यसभा के एक-एक सांसद हैं। 30 जून को बहुमत के साथ अजीत पवार को उप मुख्यमंत्री बनाया गया। पार्टी के प्रतोद अनिल पाटील हमारे साथ हैं। विधानसभा, विधान परिषद में हमारी ताकत ज्यादा है। कोर कमेटी के सदस्य भी हमारे साथ हैं। अजीत पवार के गुट की दलील है कि कई सालों से पार्टी के चुनाव नहीं हुए हैं।