कर्नाटक के एक कॉलेज में हिजाब पहनकर आने पर प्रतिबंध के बाद उठे विवाद पर कर्नाटक उच्च न्यायालय में 14 फरवरी को सुनवाई हुई लेकिन कोई फैसला नहीं आया। न्यायालय 15 फरवरी को 2.30 बजे फिर इस मामले पर सुनवाई करेगा।
तीन दिन की बंदी के बाद राज्य के स्कूल- कॉलेज 14 फरवरी से खुल गए हैं। 14 फरवरी को शिमोगा में कुछ छात्राएं हिजाब पहनकर स्कूल पहुंचीं लेकिन प्रबंधन ने उन्हें प्रवेश नहीं दिया।
14 फरवरी को इस तरह चली कार्यवाही
कर्नाटक उच्च न्यायालय में चीफ जस्टिस के नेतृत्व वाली तीन जजों की बेंच में 14 फरवरी इस मामले में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की पीठ के सामने छात्राओं के वकील देवदत्त कामत ने कहा कि हिजाब को यूनिफॉर्म में शामिल करने या न करने का फैसला कॉलेज डेवलपमेंट कमेटी पर छोड़ देना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिजाब पर बैन लगाने संबंधी सरकार का आदेश गैर जिम्मेदाराना है। सरकार का यह आदेश संविधान के आर्टिकल 25 के खिलाफ है।
छात्राओं के वकील ने किया यह अनुरोध
कामत ने न्यायालय को बताया कि सरकारी आदेश में कहा गया है कि हेड स्कार्फ यानी हिजाब पहनने का मुद्दा आर्टिकल 25 में कवर नहीं होता है। कामत ने न्यायालय में मलेशिया के एक आदेश का हवाला दिया लेकिन न्यायालय ने उसको संज्ञान में नहीं लिया, तब उन्होंने मद्रास और बॉम्बे उच्च न्यायालय के आदेशों का भी हवाला दिया। इस पर महाधिवक्ता प्रभुलिंग के नवदगी ने राज्य सरकार का पक्ष रखा।
कांग्रेस नेता जमीर अहमद के विवादित बयान पर पार्टी की सफाई
13 फरवरी को हुबली में कांग्रेस नेता जमीर अहमद के विवादित बयान पर कर्नाटक राज्य कांग्रेस अध्यक्ष डी शिवकुमार ने सफाई दी और कहा कि वह जमीर का निजी बयान है। जमीर ने कहा था कि हिजाब का मतलब इस्लाम में ‘पर्दा’ होता है। औरतों की खूबसूरती को छिपाने के लिए उन्हें पर्दे में रखा जाता है। उन्होंने भारत में रेप होने की घटनाओं की वजह औरतों को पर्दे में नहीं रखा जाना बताया था।
यहां से शुरू हुआ विवाद
हिजाब के मुद्दे पर तब विवाद पैदा हुआ, जब 31 दिसंबर को उडुपी के सरकारी पीयू कॉलेज में हिजाब पहनकर आई छह छात्राओं को क्लास में आने से रोक दिया गया था। चार छात्राओं ने राज्य के स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब पहनने देने की मांग को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। कर्नाटक उच्च न्यायालय के जस्टिस कृष्णा दीक्षित की एकल पीठ ने पिछले दिनों इस मामले को सुनवाई के लिए बड़ी बेंच के पास भेज दिया था।