हिजाब पर विवाद : उच्च न्यायालय ने दिया यह निर्देश, 25 को भी सुनवाई

कर्नाटक उच्च न्यायालय में हिजाब पर लगातार सुनवाई की जा रही है। 25 फरवरी को सभी पक्षों की दलील खत्म होने की उम्मीद है।

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स्कूलों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ में 24 फरवरी को सुनवाई हुई। न्यायालय ने 25 फरवरी तक सभी दलीलें पूरी करने का आदेश दिया है। मामले में 25 फरवरी को भी सुनवाई की जा रही है।

24 फरवरी को भी कर्नाटक उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा दीक्षित और न्यायमूर्ति सुश्री खाजी जयबुन्निसा मोहिद्दीन की पीठ के सामने स्कूलों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के मामले में सुनवाई हुई। इसके बाद न्यायालय ने 25 फरवरी दोपहर 2.30 बजे तक कार्यवाही स्थगित करते हुए फैसला सुनाया।

न्यायालय ने कहाः
न्ययालय ने कहा कि हिजाब पहनने के मामले से संबंधित सभी तर्क 25 फरवरी तक समाप्त हो जाने चाहिए। न्यायालय ने अखिल भारतीय लोकतांत्रिक महिला संघ के वरिष्ठ अधिवक्ता कीर्ति सिंह की एक याचिका को खारिज कर दिया। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवादगी ने कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) के खिलाफ कुछ शिक्षकों की शिकायतों का हवाला देते हुए एक सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट प्रस्तुत की।

विनियमों का धर्म से कोई लेना-देना नहीं
वरिष्ठ अधिवक्ता गुरु कृष्णकुमार ने प्रतिवादी संख्या 8, उडुपी के एक व्याख्याता के पक्ष में अपनी दलीलें दीं। उन्होंने तर्क दिया कि महाधिवक्ता ने कुरान के कुछ हिस्से रखे थे, जो याचिकाकर्ता के दावे के विपरीत हैं। नियम याचिकाकर्ताओं की गतिविधियों से निपट रहे हैं, जो धार्मिक नहीं हैं, बल्कि एक ऐसी गतिविधि है, जो धर्मनिरपेक्ष-शिक्षा है।

इस्लाम में हिजाब अनिवार्य
वरिष्ठ अधिवक्ता एएम डार ने न्यायायलय को बताया कि इस्लाम में हिजाब अनिवार्य है। यह कुरान में आया है और यह अल्लाह की आखिरी आज्ञा है। अल्लाह की पहली आज्ञा है रोजाना पांच नमाज, दूसरी जकात, तीसरी विरासत पर हुक्म, चौथी रोजा और पांचवां हज है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि कुरान में हिजाब शब्द नहीं है। शील की रक्षा और सभी मुस्लिम मूल्यों की रक्षा के लिए आपको अपना सिर, चेहरा और छाती ढकनी होगी। हम यह नहीं कह रहे हैं कि हम बुर्का पहनकर स्कूल जाएंगे। हम सिर्फ सिर, चेहरा और छाती ढक रहे हैं।

जीओ को रद्द करना होगा
वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने न्यायालय में तर्क दिया कि जीओ को रद्द करना होगा। यदि जीओ हटता है तो मौलिक अधिकारों के प्रयोग पर कोई प्रतिबंध नहीं है। सुनवाई के बाद न्यायालय ने सभी पक्षों को 25 फरवरी तक अपनी दलीलें प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।

कर्नाटक में एक और विवाद
इस बीच कर्नाटक उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश के बाद राज्य के एक कॉलेज प्रबंधन ने अमृतधारी सिख लड़की को पगड़ी हटाने के लिए कहा है। इसके बाद लड़की के पिता ने भी कानूनी राय लेने की बात कही है।

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