इतिहासकार विक्रम संपत ने राजदीप और थरूर को बताया, कौन थे वीर सावरकर?

राष्ट्र के लिए क्रांतिकार्य करनेवाले स्वातंत्र्यवीर सावरकर ने बैरिस्टर की डिग्री इसलिए ठुकरा दी थी क्योंकि, उसके लिए अंग्रेजों को क्रांतिकारी कार्य न करने का प्रतिज्ञा पत्र देना पड़ता। मार्सेलिस के अथाह सागर में छलांग, कालापानी की अतियातनादायी सजा और रत्नागिरी में स्थानबद्धता के सैकड़ों प्रमाण वीर सावरकर के जीवन के त्याग की सच्चाई हैं। यह सभी घटनाएं प्रमाण के साथ उपलब्ध हैं।

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इतिहासकार के समक्ष गलत बयान का परिणाम क्या होता है, इसका मजा चखा कांग्रेस के शशि थरूर ने। जब अपने नपे तुले प्रामाणिक उत्तर में स्वातंत्र्यवीर सावरकर के जीवन पर किताब लिखनेवाले विक्रम संपत ने दो टूक में ही बता दिया कि, वीर सावरकर कौन थे?

स्वातंत्र्यवीर सावरकर का जीवन किशोर आयु से आत्मार्पण तक राष्ट्र कार्य और समाज उत्थान में गया। परंतु, कांग्रेस और वामपंथी विचार के लोगों को उनके त्याग नहीं दिखते। इन त्यागों पर सैकड़ों दस्तावेज, किताबें मौजूद हैं, वर्तमान समय में प्रसिद्ध इतिहासकार विक्रम संपत ने दो किताबें लिखी हैं, जिनमें वीर सावरकर के जीवन, उनके क्रांतिकार्य, समाज कार्य का साक्ष्य सहित वर्णन है।

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ऐसी ही एक गलती कर बैठे कांग्रेस नेता शशि थरूर हुआ इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2021 में, जब मंच पर उनके साथ प्रसिद्ध इतिहासकार विक्रम संपत थे और साक्षात्कारकर्ता थे पत्रकार राजदीप सरदेसाई। इसमें राजदीप सरदेसाई ने पूछा कि, वीर सावरकर कौन थे? स्वतंत्रता सेनानी? हिंदुवादी नेता? या वे मात्र मुस्लिम विरोधी नेता थे? उनको क्या माना जाए? इसका उत्तर विक्रम संपत ने दो टूक में दे दिया, उन्होंने कहा कि, मेरी दृष्टि में वीर सावरकर इन सबका मिश्रण थे।

थरूर का प्रश्न या कन्फ्यूजन!
कॉनक्लेव में मंच पर उपस्थित कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि, एक वर्ग वीर सावरकर को राष्ट्रवादी के रूप में देखता है, तो दूसरा वर्ग उनको अलग दृष्टि से देखता है। वो अंग्रेजों से पेन्शन भी पाते थे।

विक्रम संपत ने दिया पेन्शन का ऐसा उत्तर
विक्रम संपत ने इसका बहुत रोचक उत्तर दिया। उन्होंने कहा जिन याचिकाओं की बात की जाती हैं, वह वीर सावरकर की दया याचिकाएं नहीं थीं। जिस पेन्शन की बात उठती हैं वह ऐसे कई स्वतंत्रता सेनानियों को मिलती थीं, जिनकी डिग्री सरकार छीन लेती थी।

5 वर्ष की सजा 13 वर्ष कर दी गई
विक्रम संपत ने अंग्रेजों से वीर सावरकर के संबंधों की बात पर बताया कि अंग्रेज मानते थे कि, वीर सावरकर का संपर्क भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, दुर्गा भाभी, रास बिहारी बोस से था। इसीलिए वीर सावरकर की सजा 5 साल से बढ़ाकर 13 वर्ष कर दी गई।

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