पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन या एक साथ मतदान!

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कोराना संक्रमण की सुनामी के बीच पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव आग से खेलने से कम नहीं है। कुल 8 चरणों में से बचे 4 चरण में मतदान के लिए सभाएं और रैलियां करनेवाली राजनैतिक पार्टियां भले ही अपने स्वार्थ के लिए कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को  दरकिनार कर रही हों, लेकिन भविष्य में स्थानीय लोगों को इसका कितना बड़ा खमियाजा भुगतना पड़ सकता है, इसका अनुमान लगातकर जानकार परेशान हैं। वे अपनी राय से चुनाव आयोग के साथ ही सरकार और राजनैतिक पार्टियो को बार-बार अवगत करा रहे हैं, लेकिन सभी अपने फायदे के लिए उनकी राय को अनसुनी कर रहे हैं।

चुनाव आयोग ने बुलाई सर्वदलीय बैठक
बढ़ते संक्रमण के बीच मतदान कराने को लेकर चुनाव आयोग की भी चिंता बढ़ती जा रही है। यही कारण है कि 16 अप्रैल को उसने सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इस बैठक में कोई महत्वपूर्ण निर्णय लिया जा सकता है।

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10 दिनों से संक्रमण तेज
बता दें कि पांचवे चरण का मतदान 17 अप्रैल को कराए जाने हैं। इसके आलावा तीन चरण में चुनाव 22, 26 और 29 अप्रैल को यहां मतदान कराए जाने हैं। को कराए जाएंगे। इस प्रदेश में कोरोना का रोना तो पहले से ही था, लेकिन पिछले 10 दिनों में यहां संक्रमण की गति तेजी से बढ़ी है।

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विशेषज्ञों की राय
फिलहाल विशेषज्ञ कोरोना की बढ़ती सुनामी के मद्देनजर कई तरह के राय दे रहे हैं। चंद दिन पहले एक राय यह आई थी कि पांचवें चरण के मतदान में बची सभी सीटों को निपटा दिया जाए। लेकिन नवनियुक्त चुनाव आयुक्त सुशील कुमार चंद्रा इतना बड़ा निर्णय लेने की हिम्मत नहीं जुटा पाए और उन्होंने कहा कि फिलहाल इस तरह का कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

संजय निरुपम की सलाह
फिलहाल मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम ने भी पश्चिम बंगाल चुनाव को लेकर अपनी चिंता जताई है। उन्होंने 17 अप्रैल के बाद की तारीख 22 अप्रैल को सभी सीटों पर एक साथ मतदान कराने की सलाह देते हुए ट्वीट किया है।

वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश कुमार सिंह की सलाह
वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश कुमार सिंह ने भी बंगाल चुनाव को लेकर अपनी राय जताई है। उन्होंने कहा है कि फिलहाल बंगाल में जिस तरह की कोरोना संक्रमण की विस्फोटक स्थिति बनती जा रही है, उसे देखते हुए वहां तत्काल राष्ट्रपति शासन लागू कर देना चाहिए।

यह सत्य है
इन विशेषज्ञों की राय कितना तर्कपपूर्ण है, ये तो कहना मुश्किल है, लेकिन एक बात जो सत्य है, वो ये है कि स्थिति विस्फोटक होने से पहले चुनाव आयोग को निर्णय ले लेना चाहिए। वो निर्णय क्या होगा, ये तय करना आयोग का काम है।

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