प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में नई दिल्ली में 7 अगस्त को आयोजित नीति आयोग की बैठक में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से जीएसटी के चलते झारखंड को नुकसान की चिंताओं को साझा किया। उन्होंने इसे सोशल मीडिया के जरिये भी जाहिर किया है। साथ ही प्रधानमंत्री से झारखंड के हितों की रक्षा के लिए मदद की गुहार लगाई है।
जीएसटी से झारखंड को घाटा
उन्होंने कहा कि झारखंड के खनिज एवं वन संपदाओं का देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। राज्य में करीब 30 प्रतिशत वनभूमि क्षेत्र है। नयी नियमावली में वनभूमि अपयोजन के लिए स्टेज टू क्लियरेंस के पहले ग्रामसभा की सहमति का प्रावधान समाप्त कर दिया गया है, जो ठीक नहीं है। राज्य के आदिवासी और मूलवासी ने हमेशा ठगा हुआ महसूस किया है। खनिज संपदा के उत्खनन से प्राप्त आय का अधिकाधिक हिस्सा झारखंड जैसे राज्य को प्राप्त होना चाहिए, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में जो नीतिगत परिवर्तन हुए हैं, वो ठीक इसके विपरीत साबित हुए हैं। जीएसटी से झारखंड को काफी घाटा हुआ है। इसकी भरपाई करने का प्रयास ढंग से नहीं किया गया है। विभिन्न खनन कंपनियों के भू-अर्जन, रॉयल्टी आदि मद में करीब एक लाख 36 हजार करोड़ रुपये बकाया है। लेकिन कंपनियां इसके भुगतान में रुचि नहीं दिखा रही है।
मुख्यमंत्री ने जताई चिंता
मुख्यमंत्री ने चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि झारखंड को कोयला कंपनियों द्वारा एड वेलोरेम के आधार पर रॉयल्टी का भुगतान नहीं किया जा रहा है, जिससे राज्य को हजारों करोड़ की राशि से वंचित होना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि कोयला मंत्रालय द्वारा इस प्रावधान को समाप्त करने की तैयारी की जा रही है जो झारखंड जैसे राज्य के साथ अन्याय होगा। हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री से इस दिशा में सकारात्मक पहल करने का आग्रह किया है।