नरेश वत्स
Population:देश में 65 सालों में मुस्लिम समुदाय की तेजी से बढ़ती आबादी तथा हिंदुओं की घटती आबादी से चिंताजनक स्थिति पैदा हो गई है। इस पर बहस शुरू हो गई है कि इस तेजी से अगर देश में मुस्लिम समुदाय की आबादी बढ़ती गई तो देश के आंतरिक संतुलन पर इसका क्या असर पड़ सकता है?
समान जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग
हिंदू की आबादी घटने की खबर ने लोगों को सकते में डाल दिया है। ऐसे में समान जनसंख्या नियंत्रण नीति की मांग फिर से जोर पकड़ने लगी है । इसके साथ ही यह आवाज भी मुखर होने लगी है कि अब देश की कुल आबादी का 15 प्रतिशत तक पहुंचे मुस्लिम समाज को अल्पसंख्यक दर्जे से बाहर निकलने का वक्त आ गया है।
प्रधानमंत्री ने 2019 में जताई थी चिंता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2019 में स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीन से राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में देश में बढ़ती जनसंख्या पर चिंता जताई थी। लेकिन उनकी यह बात आगे नहीं बढ़ पाई। अब जबकि प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट के अनुसार देश में 1950 से 2015 के बीच कुल आबादी में हिंदुओं के हिस्सेदारी 7.82 प्रतिशत घटी है ,जबकि इसी अवधि में मुसलमान के हिस्सेदारी में 43.15 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
देश के लिए खतरे की घंटीः विहिप
इस रिपोर्ट के आने के बाद विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ सुरेंद्र जैन का कहना है कि यह रिपोर्ट चौंकाने वाली है। इसमें घुसपैठियों, बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमान शामिल नहीं हैं। इसके साथ ही मुस्लिम समाज का वह वर्ग भी शामिल नहीं है, जो खुद को जनगणना जैसी गतिविधियों से दूर रखता है। उनका कहना है कि अगर इन सबको मिला दिया जाए तो यह वृद्धि पूरे देश के लिए चिंताजनक है। जनसंख्या विस्फोट देश में खतरनाक स्थिति में आ गया है। ऐसे में समान जनसंख्या नियंत्रण नीति बननी चाहिए,यह चाहे हिंदू हो या मुसलमान सभी पर एक समान रूप से लागू होना चाहिए।
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अल्पसंख्यक का दर्जा हटाने की मांग
भाजपा इस बात को प्रमुखता से उठा रही है कि एक देश, एक विधान,एक कानून देश में लागू होना चाहिए। इसलिए जनसंख्या नियंत्रण नीति बननी चाहिए, जो हिंदू और मुसलमान दोनों पर समान रूप से लागू होनी चाहिए। इसी तरह 15 प्रतिशत आबादी काफी है। इस आधार पर मुसलमान से अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा वापस लेना चाहिए।
भयानक जनसंख्या असंतुल की ओर देश
सोचने की बात है कि एक तरफ हिंदुओं से कहा गया कि दो ही बच्चे सबसे अच्छे, जबकि मुस्लिम लोगों ने कहा कि हमारा शरीयत कानून नसबंदी की इजाजत नहीं देती है। इसका परिणाम यह हुआ कि जनसंख्या का भयानक असंतुलन सामने आ गया है। हिंदू समाज की जनसंख्या में 8 प्रतिशत की गिरावट सामने आई है तथा मुस्लिम समाज में 43 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है। मुसलमानों की जनसंख्या बढ़ना इसलिए भी कतरनाक है कि जब देश में 23 प्रतिशत मुस्लिम थे तब उन्होंने पाकिस्तान और बांग्लादेश के रूप में 30 प्रतिशत भूभाग हिंदुस्थान का ले लिया था।