राष्ट्र्पति रामनाथ कोविंद ने कहा कि दुनिया में उपलब्ध महंगे इलाज के बीच भारत में सस्ते उपचार की व्यवस्था है। यही वजह है कि दिल्ली के अस्पतालों में भी देखें तो देश के विभिन्न हिस्सों के साथ ही विदेशों के मरीज इलाज के लिए आते हैं। भारत में चिकित्सा की प्राचीन पद्धति रही है, जिससे विश्व को भी मार्गदर्शन मिला है। भारत ने दुनिया को योग, प्राणायम और व्यायाम के साथ आध्यात्मिक शक्ति का बोध कराया। हमें दैनिक दायित्वों का निर्वहन करने के साथ-साथ प्रकृति के अनुरूप और सरल जीवन शैली अपनानी चाहिये। इससे हमारा स्वास्थ्य बेहतर रहेगा।
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राष्ट्रपति कोविंद शनिवार को राजधानी भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे अंतरराष्ट्रीय समागम केंद्र में आयोजित ‘एक देश-एक स्वास्थ्य सेवा’ पर आरोग्य मंथन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, आयुष मंत्री रामकिशोर कांवरे और आरोग्य भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश पंडित मौजूद रहे।
राष्ट्रपति ने कहा कि कोरोना संकटकाल में वैक्सीन ने बड़ी संख्या में लोगों की जान बचाई। छोटे-छोटे देशों को भी भारत ने वैक्सीन मुफ्त उपलब्ध कराई, जिसका उन देशों के नागरिक आभार व्यक्त करते हैं। पिछले दो दशकों के दौरान आरोग्य भारती ने नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए सुविचारित और सुसंगठित प्रयास किये हैं।आरोग्य भारती का विचार बहुत स्पष्ट है कि व्यक्ति स्वस्थ रहेगा, तो गांव, समाज, प्रदेश और देश भी स्वस्थ रहेगा। आरोग्य भारती आयुर्वेद के माध्यम से जनसेवा का अभिनंदनीय प्रयास कर रहा है। देश में मेडिकल टूरिज्म बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में घोषित राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के तहत हमारा लक्ष्य है कि सभी व्यक्तियों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं खिफायती खर्च पर सुलभ रूप से प्राप्त हों। जितना सस्ता उपचार भारत में है उतना आपको कहीं नहीं मिलेगा। भारत की जो सस्ती ट्रीटमेंट प्रणाली है वह आपको अन्य कहीं नहीं मिलेगी। कार्यक्रम में भाग लेकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। कोरोना काल में किसी न किसी वजह से, किसी न किसी रूप में हम सभी प्रभावित रहे हैं। उन्होंने कहा कि जनसमुदाय की वन औषधि, योग की बात हुई है। ये अपने जीवन में लाना बहुत जरूरी है। इसकी आज अधिक आवश्यकता है। इससे वास्तविक रोगियों की संख्या भी नियंत्रित होगी।
उन्होंने कहा कि व्यापक तथा समग्र रूप से सबके आरोग्य की व्यवस्था करना भी इस नीति का लक्ष्य है। इसके लिए सरकारी तथा निजी क्षेत्रों की भागीदारी के साथ-साथ समाज के प्रबुद्ध वर्ग की भागीदारी भी जरूरी है। राष्ट्रपति ने कहा कि योगसूत्र, हठयोग प्रदीपिका, हिरण्य संहिता जैसे प्राचीन ग्रंथों से ये स्पष्ट होता है कि सदियों पहले हमारे देश में एक देश, एक स्वास्थ्य तंत्र किसी ना किसी रूप में विद्यमान था। चरक संहिता और सुश्रुत संहिता की व्यापक स्वीकृति द्वारा भी प्राचीन काल से अखिल भारतीय स्वास्थ्य तंत्र की उपस्थिति का अनुमान होता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि परंपरागत चिकित्सा पद्धति की उपयोगिता को विश्वस्तर पर अपनाया जा रहा है। समग्र और समावेशी प्रयासों से आरोग्य भारती के प्रकल्पों को भी संबल प्राप्त होगा। मेरी शुभकामना है कि ये संस्थान स्वस्थ भारत के निर्माण में अपना अमूल्य योगदान देता रहे तथा जनमानस में विशेष स्थान अर्जित करे। कार्यक्रम को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने भी संबोधित किया।
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