भारत ने तालिबान के साथ औपचारिकताएं बढ़ानी शुरू कर दी है। अमेरिकी सैन्य बलों की वापसी के बाद अब पूरी तरह अफगानिस्तान तालिबान के कब्जे में आ गया है। इसलिए भारत ने अपने नागिरकों की सकुशल वापसी के साथ ही देश के हितों से जुड़े कई मुद्दों पर बात की है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति जारी कर इस बारे में जानकारी दी है। विज्ञप्ति के अनुसार भारत ने वहां फंसे अपने नागरिकों की सकुशल वापसी के साथ ही अपनी अन्य चिंताओं से तालिबान को अवगत कराया है।
पहली औपचारिक मुलाकात
31 अगस्त को कतर में भारत के राजदूत दीपक मित्तल ने तालिबान के दोहा राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख शेर मोहम्मद अब्बास स्तनेकजई से मुलाकात की और अपनी चिंताओं से उन्हें अवगत कराया। भारत ने बताया कि यह मुलाकात और बातचीत तालिबान के आग्रह पर दोहा स्थित भारतीय दूतावास में हुई। भारत- तालिबान के बीच यह पहली औपचारिक वार्ता है।
मुलाकात में हुई ये बात
भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार भारत की यह बातचीत मुख्य रुप से वहां फंसे भारतीयों की सुरक्षित वापसी को लेकर हुई। भारत ने तलिबान से अनुरोध किया कि वह अफगानिस्तान में रह रहे भारतीयों को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाए और उनकी सकुशल वापसी में मदद करे। इसके साथ ही तालिबान अपनी जमीन पर भारत के खिलाफ किसी भी तरह की गतिविधियों को संचालित न होने दे। साथ ही उससे भारत में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा नहीं देने का आग्रह किया गया है। भारत की इन चिंताओं पर स्तनेकजई ने आश्वासन दिया है तालिबान इन मुद्दों पर सकारात्मक नजरिया अपनाएगा।
ये भी पढ़ेंः तालिबान ने इसलिए आतिशबाजी जलाकर और बदूकें चलकार मनाया जश्न!
तालिबान का भारत के प्रति सकारात्मक रुख
पिछले काफी दिनों से तालिबान का भारत के प्रति सकारात्मक रुख रहा है और उसने भारत से अच्छे संबंध बनाने की बात कही है। उसने कहा है कि भारत हमारे लिए महत्वपूर्ण देश है और हम उससे अच्छे संबंध चाहते हैं। इसके साथ ही तालिबान ने अफगानिस्तान में भारतीय निवेश का स्वागत किया है और कहा है कि भारत अपनी योजनाओं पर काम जारी रख सकता है। साथ ही तालिबान ने यह भी दावा किया है कि वह अपनी जमीन को किसी भी देश के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने देगा।