Corporate Sector: चीन के चंगुल में भारत के कार्पोरेट सेक्टर? ब्रिगेडियर( रि.) हेमंत महाजन का बड़ा खुलासा

भारत में कॉर्पोरेट जगत का यह चीनी प्रेम भारत के लिए आत्मघाती है। चीन एक ही समय में भारत के साथ कई तरीकों से युद्ध कर रहा है।

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Corporate Sector: जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है, तब से वह भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। चीन में बनने वाले सभी उत्पाद अब भारत में बन रहे हैं, चाहे वह लैपटॉप हों, मोबाइल हों, फार्मा उत्पाद हों। लेकिन अभी भी ये चीन में 10-15 प्रतिशत सस्ते हैं, इसलिए भारतीय कार्पोरेट सेक्टर चीन से ये सामान आयात कर रहे हैं। सावरकर स्ट्रैटजिक सेंटर के प्रमुख और स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के ट्रस्टी ब्रिगेडियर( रि) हेमंत महाजन ने चौंकाने वाली जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारतीय उद्यमियों को अब भी चीन से प्यार है।

ब्रिगेडियर(रि) हेमंत महाजन कारगिल विजय की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर शनिवार, 27 जुलाई को स्मारक के मादाम कामा सभागार में सावरकर स्ट्रैटजिक सेंटर द्वारा आयोजित ‘गाथा पराक्रमची’ व्याख्यान में बोल रहे थे। इस मौके पर स्मारक की कोषाध्यक्ष मंजिरी मराठे, कार्यवाहक राजेंद्र वराडकर, सह कार्यवाहक स्वप्निल सावरकर मौजूद थे।

ताइवान के बाद चीन का दूसरा निशाना भारत
भारत में कॉर्पोरेट जगत का यह चीनी प्रेम भारत के लिए आत्मघाती है। चीन एक ही समय में भारत के साथ कई तरीकों से युद्ध कर रहा है। वह भारत में अपने समर्थकों को बढ़ाकर साइबर युद्ध, आर्थिक युद्ध, सामरिक युद्ध, भावनात्मक युद्ध जैसे कई स्तरों पर युद्ध छेड़े हुए है। इसलिए चीन को रोकना इतना आसान नहीं है। ब्रिगेडियर हेमन्त महाजन ने कहा कि ताइवान के बाद चीन का निशाना भारत होने जा रहा है, क्योंकि वह भारत को अपने वश में करना चाहता है और दुनिया को संदेश देना चाहता है कि देखो हमने भारत को वश में कर लिया है।

सरकार को उठाना होगा कड़ा कदम
ब्रिगेडियर ने कहा कि जो इंडिया उनको एक्सपोर्ट करता है, पिछले पास छह साल से भारत सरकार कोशिश कर रही है कि इंपोर्ट और एक्सपोर्ट बराबर हो जाए, क्योंकि इकॉनमी के लिए यह अच्छा होता है लेकिन इतनी कोशिश करने के बावजूद वो आपको बहुत कम एक्सपोर्ट करने नहीं देता है और वो सब चीजें हमे बेचता रहता है। क्योंकि चाइना की जो चीजें हैं. वह तकरीबन 10-15 परसेंट यह सस्ती हैं। इंडियन कॉर्पोरेट वर्ल्ड है, वह सोचता है कि चाइना की बिना वह चल नहीं सकता। एक एग्जांपल देते एपिआई मतलब जो दवाई बनती है, उसके लिए जो रॉ मटेरियल होता है, वह पूरा चीन से आता है। पहले इंडिया में बनता था पूने में, अब वह पूरा बंद हो गया है। इलेक्ट्रोनिक गुडेस पूरी चाइना से आते हैं। ये सब बंद करना चाहिए। सरकार को इस बारे में कड़े कदम उठाने चाहिए।

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