राजस्थान और छत्तीसगढ़ के बाद हरियाणा में भी कांग्रेस में गुटबाजी और कलह बढ़ती दिख रही है। 24 जून को प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया की बैठक में यह स्पष्ट रूप से देखने को मिली। इस बैठक में दीपक बाबरिया से नाराज शैलजा कुमारी गुट ने नारेबाजी करते हुए वॉकआउट किया।
दरअस्ल 24 जून से चंडीगढ़ में हरियाणा कांग्रेस कमेटी की दो दिवसीय रणनीति बैठक जारी है। यह बैठक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदय भान ने बुलाई है। इस अहम बैठक के मुख्य अतिथि हरियाणा के नवनियुक्त प्रभारी दीपक बाबरिया हैं।
इन सभी को किया गया है आमंत्रित
प्रदेश अध्यक्ष ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्यों, पूर्व सांसदों और पूर्व विधायकों को भी बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है। इसके अतिरिक्त, पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों के पार्टी उम्मीदवारों, पूर्व जिला अध्यक्षों और राज्य-स्तरीय विभागों के प्रमुखों को भी बैठक में आमंत्रित किया गया है। बैठक में शामिल होने वाले प्रमुख लोगों में पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा, प्रदेश अध्यक्ष उदय भान, कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला, कुमारी शैलजा, राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा और किरण चौधरी शामिल हैं।
पार्टी छिपा नहीं पाई अंजरूनी कलह
हालांकि हरियाणा कांग्रेस के सभी प्रमुख नेता एक मंच पर मौजूद थे, लेकिन पार्टी संगठन के भीतर विभिन्न खेमों के बीच अंदरूनी कलह को छिपा नहीं सकी और वह फिर से सामने आ गई। जब विभिन्न खेमों के समर्थकों ने अपने-अपने नेताओं के लिए नारे लगाए। दीपक बाबरिया के सामने धक्का-मुक्की और नारेबाजी जारी रही तो नाराज कुमारी शैलजा अपने समर्थकों के साथ बैठक से बाहर चली गईं।
शैलजा की सफाई
हालांकि, कुमारी शैलजा ने कहा कि वे कुछ महत्वपूर्ण काम में भाग लेने के लिए बैठक छोड़कर गई थीं। लेकिन बाहर जमा हुए समर्थक साफ तौर पर खेमों में बंटे हुए थे और इनमें सबसे ज्यादा मुखरता हुड्डा खेमे की थी। पत्रकारों के पूछने पर उन्होंने कुमारी शैलजा के बैठक से बाहर चले जाने का जिक्र किया और अंदरूनी कलह के संकेत सबके सामने आ गए।
शैलजा ने दीपेंद्र हुड्डा के घोषणापत्र पर की टिप्पणी
कुमारी शैलजा ने जब अपना संबोधन शुरू किया तो नारेबाजी तेज हो गई। विभिन्न खेमों के हंगामे और नारेबाजी के जवाब में उन्होंने दावा किया कि हर कोई भावी मुख्यमंत्री के लिए नारे लगाता है और नारेबाजी करना उनके लिए कोई नई बात नहीं है। इस बीच शैलजा ने दीपेंद्र हुड्डा के घोषणापत्र पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि हुड्डा का घोषणापत्र कांग्रेस पार्टी का नहीं है, क्योंकि कांग्रेस घोषणापत्र समिति पार्टी का घोषणापत्र बनाती है। इसके अलावा, संगठनात्मक ढांचे के संबंध में, उन्होंने कहा कि अब तक पार्टी का संगठनात्मक ढांचा न बन पाना एक बड़ी विफलता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अब नए नेताओं के आने से पार्टी संगठन का काम जल्द ही व्यापक स्तर पर किया जाएगा।
एक दशक से संगठनात्मक ढांचा बनाने मे असमर्थ
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अंदरूनी कलह के कारण, कांग्रेस पार्टी पिछले एक दशक से राज्य में संगठनात्मक ढांचा स्थापित करने में असमर्थ रही है।
छत्तीसगढ़ में दिख रही है अंदरूनी कलह
इससे पहले कांग्रेस पार्टी की छत्तीसगढ़ इकाई में भी अंदरूनी कलह देखने को मिली थी। हालांकि छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रभारी कुमारी शैलजा ने 22 जून को राज्य कांग्रेस प्रमुख मोहन मरकाम के फैसले को पलट दिया। उन्होंने रवि घोष को पार्टी की राज्य इकाई के महासचिव के रूप में नियुक्त किया है।