केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने विश्वास के साथ दावा किया कि भाजपा की परिवर्तन संकल्प यात्राओं से जिस तरह की गति बनेगी, उससे अबकी बार राजस्थान में ऐतिहासिक परिणाम आएगा। वर्ष 2013 की 163 सीटों के कीर्तिमान से बड़ा आशीर्वाद देकर जनता भाजपा की सरकार बनाएगी।
6 सितंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस में शेखावत ने कहा कि वर्ष 2018 में चुनाव परिणाम आने के साथ जिस तरह का विग्रह मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर इस सरकार के विभिन्न घटकों में था, उसके चलते सरकार के मुखिया की प्राथमिकता सुशासन के बजाय कुर्सी पर बना रहना या कुर्सी को बचाए रखना हो गई। इससे प्रदेश में अराजकता फैली। कांग्रेस पार्टी के विधायकों ने जमकर भ्रष्टाचार किया। बाड़मेर से ज्यादा प्रासंगिक जगह इस बात की चर्चा करने की नहीं हो सकती। शेखवात ने बाड़मेर के विधायक पर भी तीखा हमला बोला और कहा कि उनके घोटालों से कोई अपरिचित नहीं है।
कानून व्यवस्था पर दागा सवाल
शेखावत ने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था तार-तार हुई। महिलाओं और दलितों पर अत्याचार हुए। इसके अतिरिक्त बहुसंख्यक समाज की मानसिकता को तोड़ने और उनको मानसिक रूप से कमजोर करने के उद्देश्य के साथ जिस तरह तुष्टिकरण का तांडव हुआ। इसके चलते सांप्रदायिक और अलगाववादी तत्वों के हौसले बुलंद हुए, जिसके कारण कन्हैयालाल टेलर का सिर तन से जुदा करने की घटना हुई। उन्होंने कहा कि राजस्थान शांति और सौहार्द का प्रदेश था। इस सरकार के कारण यहां भू-माफिया, डीजल माफिया, शराब माफिया, अफीम तस्करी, बजरी माफिया, मंदिरों की संपत्तियों को हड़पने का माफिया पनपा। गैंगवारों में साढ़े सात हजार से ज्यादा निर्दोष लोगों की जान गई।
दो लाख से ज्यादा महिलाओं के साथ अत्याचार
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दो लाख से ज्यादा महिलाओं के साथ अत्याचार और अपमानजनक घटनाएं हुईं। राजस्थान को देश की रेप कैपिटल बनाने का पाप गहलोत सरकार ने किया। आज प्रतिदिन 17 से 19 औसत रेप के मुकदमे राजस्थान में होते हैं, लेकिन सरकार के मुखिया कहते हैं कि इन मुकदमों के पीछे नाते-रिश्तेदारों का हाथ होता है और हम ज्यादा मुकदमे रजिस्टर करते हैं। इनके मंत्री कहते हैं कि राजस्थान मर्दों का प्रदेश है, इसलिए यहां ज्यादा रेप की घटनाएं होती हैं।
अंतिम पड़ाव पर गहलोत सरकार
शेखावत ने कहा कि जब यह सरकार अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंची है। सरकार के केवल एक या दो महीने बचे हैं, तब सरकार किसानों को जमीनों का संरक्षण देने के लिए कानून बनाने की बात करती है, जबकि 20 हजार किसानों की जमीन नीलाम हो चुकी है। सरकार की वादा-खिलाफी के चलते हुए 2000 किसानों को आत्महत्या करने को मजबूत होना पड़ा। तीन बार मुख्यमंत्री रहने के बाद और अपने तीसरे कालखंड का जब अंतिम क्वार्टर चल रहा है, तब सरकार के मुखिया कहते हैं कि वर्ष 2030 का विजन बनाएंगे, जो हास्यास्पद है। पार्टी में टिकटों के कई दावदारों के सवाल पर उन्होंने कहा कि चुनाव में टिकट मांगना कार्यकर्ता का अधिकार है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी में परंपरा है कि एक बार निर्णय हो जाने के बाद में हम सब लोग मिलकर चुनाव में विजय किस तरह से प्राप्त हो सके, इस दिशा में काम करते हैं।
संजीवनी प्रकरण पर सफाई
संजीवनी प्रकरण के सवाल पर शेखावत ने कहा कि संजीवनी घोटाले में कहीं भी मैं या मेरा परिवार शामिल नहीं है। मुख्यमंत्री का दर्द यह है कि जोधपुर की जनता ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने के लिए उनके बेटे को तीन लाखों से वोटों पराजित किया। मुख्यमंत्री अपने राजनीतिक स्वार्थ और अपनी राजनीतिक पराजय को ना पचा पाने के कारण अनर्गल टिप्पणियां करते हैं।
मुख्यमंत्री की रेस में नहीं
मुख्यमंत्री बनने के सवाल पर शेखावत ने कहा कि मैं कई बार इस बात को स्पष्ट कर चुका हूं कि मैं कतई मुख्यमंत्री पद की रेस में नहीं हूं। मैं जिस विचार परिवार से आता हूं, वहां पर व्यक्ति किस दायित्व के साथ में और किस क्षेत्र में काम करेगा, यह भी हम खुद तय नहीं करते। छात्रसंघ की राजनीति करने के बाद जहां सब लोग अपनी राजनीतिक सर जमीन को तलाश करते हैं, मैं उसे समय सीमावर्ती क्षेत्र पर 20 साल तक काम कर रहा था। मैंने भारतीय जनता पार्टी का दफ्तर नहीं देखा था। मुझे कहा गया कि तुमको राजनीतिक क्षेत्र में काम करना चाहिए तो मैं अपना काम कर रहा हूं। आगे अगर यह तय करेंगे कि मुझे सेवा भारती, विद्या भारती या वनवासी कल्याण परिषद में जाकर काम करना है तो मैं इसी उत्साह, ऊर्जा, उमंग और लगन के साथ कम करूंगा, क्योंकि जहां कहीं भी काम करूंगा, वहां एक ही उद्देश्य होगा, मां भारती की जय-जयकार करना।
जल जीवन मिशन में राजस्थान निचले प्रदेशों में शामिल
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार की सारी योजनाओं के इंप्लीमेंटेशन में राजस्थान पिछड़ गया है। सबसे ज्यादा संसाधन उपलब्ध कराने और बजट देने के बावजूद जल जीवन मिशन में राजस्थान निचले प्रदेशों में शामिल है। अगर मैं बाड़मेर की चर्चा करूं तो यहां स्थिति और भी गंभीर है। 2445 गांवों में से अब तक 116 गांव ऐसे हैं, जहां काम रिपोर्ट किया गया है। सर्वे कराया तो संज्ञान में आया कि सिर्फ आंकड़ों का मायाजाल बनाने का कम किया गया। 750 गांवों में अभी काम प्रारंभ नहीं हुआ है।