इसलिए सरकार ने किया अधिकारियों को गेट आउट!

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पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के लेटर बम के बाद अब आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला की पुलिस अधिकारियों के तबादले में पैसे की लेनदेन को लेकर तैयार की गई रिपोर्ट ने महाराष्ट्र की उद्धव सरकार की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। इसके साथ ही विपक्ष के हाथ हर दिन सरकार के खिलाफ नए-नए मुद्दे आने से सरकार के लिए चैन की सांस लेना मुश्किल हो गया है। इसलिए 24 मार्च को हुई कैबिनेट की बैठक में अधिकारियों को बाहर रखा गया।

हालात इतने खराब हो गए हैं कि महाविकास आघाड़ी सरकार के मंत्रियों ने अपनी ही सरकार से सवाल-जवाब करने शुरू कर दिए हैं।

अपने ही मंत्रियों के सवालों का करना पड़ा सामना
24 मार्च को हुई कैबिनेट की बैठक में उद्धव सरकार को अपने ही मंत्रियों के सवालों के जवाब देना भारी पड़ गया। जब मंत्रियो के फोन टैप हो रहे हैं और अधिकारी खुलकर आरोप लगा रहे हैं तो काम कैसे किया जाए, इस तरह के सवाल कई मंत्रियों ने कर अपनी ही सरकार की बोलती बंद कर दी। अगर सरकार सही ढंग से चलाना है तो मंत्रियों और अधिकारियों के बीच बेहतर संबंध और संवाद होना जरुरी है। लेकिन पिछले करीब एक वर्ष से इनके बीच छद्म युद्ध चल रहा है।

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फोन टैपिंग और परमबीर सिंह के लेटर बम पर विशेष रुप से चर्चा
पिछले कई दिनों से महाराष्ट्र की राजनीति में मचे हड़कंप के बाद 24 मार्च को हुई कैबिनेट की पहली बैठक करीब तीन घंटे तक चली। बैठक में सबसे ज्यादा चर्चा मंत्रियो की फोन टैपिंग और परमबीर सिंह के लेटर बम पर हुई।

सीएम ने सबको साथ मिलकर चलने की बात कही
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मंत्रियों के सूर को देखते हुए कहा कि हमें सभी मामलों में मिलकर लड़ने की जरुरत है। इस दरम्यान उन्होंने परमबीर सिंह द्वारा हफ्ता उगाही कराने के विवादों में फंसे अनिल देशमुख का पक्ष लेते हुए कहा कि देशमुख ने अपने ऊपर लगे आरोपों को झूठा बताया है।

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जीतेंद्र आव्हाड ने उठाया ये मुद्दा
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता और गृह निर्माण मंत्री जीतेंद्र आव्हाड ने कहा कि फोन टैप करने के लिए गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव की स्वीकृति की जरुरत होती है। रश्मि शुक्ला ने इस तरह की मंजूरी लिए बिना फोन टैपिंग की। पूर्व की सरकार के दौरान भी उनपर इस तरह के आरोप लगे थे। जब उनका लिखित पत्र का खुलासा हुआ था, तो उन्होंने माफी भी मांगी थी। सरकार ने दया दिखाते हुए उनके प्रति नरन रुख अपनाया था। अब उसी पत्र का इस्तेमाल वो सरकार को बदनाम करने के लिए कर रही हैं।

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