अमेरिका, रूस और चीन सहित पांच बड़े देशों एवं ईरान के बीच वर्ष 2015 में हुई आणविक संधि को फिर से सजीव किए जाने के लिए चल रही वार्ता खटाई में पड़ गई है।
चीन ने यह कहकर रोड़ा लगा दिया है कि जब तक मास्को की वैधानिक सहमति नहीं मिल जाती, इस वार्ता के परिणामों का कोई औचित्य नहीं है।
रूस की धमकी
इस संदर्भ में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लवरोव ने धमकी दी है कि यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में अमेरिका के आर्थिक प्रतिबंध जारी रहते हैं तो वह आणविक संधि में सहयोग नहीं देगा। रूस के ईरान के साथ अच्छे व्यापारिक सम्बन्ध ही नहीं हैं, रूस और ईरान के तकनीकी सम्बंध भी हैं। वह कोई बाधा नहीं चाहता।
अमेरिका ने कही ये बात
इस पर अमेरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिनकेन ने स्पष्ट किया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों का आणविक संधि को फिर से लागू किए जाने से कोई औचित्य नहीं है। ट्रम्प शासनकाल में 2018 आणविक संधि को अमेरिका ने भंग कर दिया था।