केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने 16 अक्टूबर को तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा से जुड़े कथित ‘प्रश्न के बदले नकद’ विवाद पर कहा कि संसद में एक डेटा सेंटर कंपनी के कहने पर एक सांसद द्वारा संसद में प्रश्न पूछा जाना वास्तव में चौंकाने वाला और शर्मनाक है।
सोशल नेटवर्किंग साइट ‘एक्स’ पर राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि उन्हें कुछ समाचार रिपोर्टों से इस बारे में पता चला है कि एक कंपनी डेटा लोकलाइजेशन (स्थानीय तौर पर डाटा रखे जाने) की सक्रिय और आक्रामक तरीके से पैरवी कर रही थी। सांसद की ओर से पूछे गए प्रश्न में इस्तेमाल की गई भाषा बहुत हद तक वैसी ही है। जैसे डेटा स्थानीयकरण की आवश्यकता को डेटा उल्लंघनों से जोड़ना। इसी भाषा में मुलाकात के दौरान इस कंपनी के प्रमुख ने उनसे यह बात कही थी। उन्होंने कहा, “मुझे इसके पूरे तथ्य या पृष्ठभूमि की जानकारी नहीं है – लेकिन अगर यह सच है तो यह एक भयानक विडंबना और प्रश्न का दुरुपयोग है।”
महुआ मोइत्रा ने कहाः
इसके जवाब में महुआ मोइत्रा ने कहा कि उन पर दूसरों को आगे बढ़ाने का आरोप लगाकर उनकी सोचने समझने की क्षमता का अपमान नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वे डेटा प्रोटेक्शन पर आईटी समिति और जेपीसी की सदस्य हैं। यह सभी भारतीयों द्वारा उठाया जाने वाला जरूरी प्रश्न है। अगर कोई दुश्मन देश ऐप से डेटा चुरा सकते हैं – तो क्या वे विदेशों में संग्रहीत भारतीय उपयोगकर्ता का डेटा नहीं चुरा सकते?
निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को लिखा पत्र
उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता पार्टी सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा पर पैसे लेकर प्रश्न पूछने का आरोप लगाया है। उन्होंने इन आरोपों पर जांच समिति से जांच कराए जाने की मांग की है।
निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया है कि लोकसभा सदस्य महुआ ने बिजनेसमैन दर्शन हीरानंद से प्रश्न पूछे जाने के एवज में रिश्वत और उपहार लिए हैं। दुबे ने मांग की है कि महुआ की सदस्यता तुरंत प्रभाव से निलंबित की जानी चाहिए।
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