Jammu and Kashmir: केंद्रीय गृह मंत्री (Union Home Minister) अमित शाह (Amit Shah) ने मंगलवार (26 मार्च) को कहा कि केंद्र सरकार (Central government) जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (Armed Forces Special Powers Act) (AFSPA) को रद्द करने पर विचार करेगी। मीडिया से बात करते हुए, गृहमंत्री शाह ने यह भी कहा कि सरकार की योजना केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) में सैनिकों को वापस बुलाने और कानून व्यवस्था को अकेले जम्मू और कश्मीर पुलिस (Jammu and Kashmir Police) पर छोड़ने की है।
उन्होंने कहा, “हमारी योजना सैनिकों को वापस बुलाने और कानून व्यवस्था को जम्मू-कश्मीर पुलिस पर अकेले छोड़ने की है। पहले, जम्मू-कश्मीर पुलिस पर भरोसा नहीं किया जाता था, लेकिन आज वे ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहे हैं।” विवादास्पद एएफएसपीए (AFSPA) पर गृह मंत्री ने कहा, ‘हम एएफएसपीए हटाने के बारे में भी सोचेंगे।’
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एएफएसपीए क्या है?
एएफएसपीए अशांत क्षेत्रों में सक्रिय सशस्त्र बलों के जवानों को सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक समझे जाने पर तलाशी लेने, गिरफ्तार करने और गोली चलाने की व्यापक शक्तियां देता है। सशस्त्र बलों के संचालन को सुविधाजनक बनाने के लिए AFSPA के तहत किसी क्षेत्र या जिले को अशांत घोषित किया जाता है। शाह ने पहले कहा था कि पूर्वोत्तर राज्यों में 70 प्रतिशत क्षेत्रों में एएफएसपीए हटा दिया गया है, हालांकि यह जम्मू-कश्मीर में लागू है। जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में विभिन्न संगठनों और व्यक्तियों द्वारा एएफएसपीए को हटाने की मांग की गई है। शाह ने कहा कि सितंबर से पहले जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होंगे। उन्होंने कहा, “जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र को स्थापित करना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वादा है और इसे पूरा किया जाएगा। हालांकि, यह लोकतंत्र केवल तीन परिवारों तक सीमित नहीं रहेगा और लोगों का लोकतंत्र होगा।”
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पाकिस्तान से जुड़ी साजिश
अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के युवाओं से पाकिस्तान की साजिशों से दूर रहने को भी कहा, “आज पाकिस्तान भूख और गरीबी की मार से घिरा हुआ है और वहां के लोग भी कश्मीर को स्वर्ग के रूप में देखते हैं। मैं सभी को बताना चाहता हूं कि अगर कोई कश्मीर को बचा सकता है, तो वह प्रधानमंत्री मोदी हैं।” गृह मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार शहीदों के परिजनों को नौकरी देकर सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ा रही है। उन्होंने कहा, “आज एक भी शहीद का परिवार बिना नौकरी के नहीं बचा है।”
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