राज्य में सरकार के अंदर बैठे आतंक के समर्थकों की अब खैर नहीं। ये अधिकारी देश के दुश्मनों को अंदर की सूचनाएं साझा करके क्षति पहुंचा रहे हैं। ऐस कर्मचारियों के विरुद्ध राज्य सरकार नया कानून लागू कर रही है। जिसमें किसी सरकारी कर्मी को विद्रोही गतिविधि में संलिप्त पाए जाने पर तत्काल हटाया जा सकेगा।
सरकार के नए आदेश के अनुसार संविधान के अनुच्छेद 311(2)(सी) प्रशासन को ये अधिकार देता है कि वो किसी भी सरकारी कर्मचारी पर जांच बैठाए बगैर बर्खास्त कर दे। यह राज्य की सुरक्षा के आधार पर लिया गया निर्णय होना चाहिए।
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इस विषय में अब टास्क फोर्स ऐसे कर्मचारियों का पता लगाएगी, जांच करेगी और सरकार के आदेश 738-जेके (जीएडी) 2020 के अनुसार कार्रवाई करेगी। यह कार्रवाई अनुच्छेद 311(2)(सी) के प्रावधानों के अनुरूप होगी।
बहु प्रतीक्षित कदम, हो कार्रवाई
अनुच्छेद 311(2)(सी) बहुप्रतीक्षित कदम है। पहले यहां इस्लामी आधार पर सरकारी विभागों में कुछ लोगों को बैठाया गया था। जो देश विरोधी गतिविधियों में सहायक बने हुए थे। इस कानून से अब ऐसे लोगों का पता लगाकर उन पर कार्रवाई आसान होगी। लेकिन, यह कार्रवाई प्रशासन को बहुत ही साफ मन से करनी होगी अन्यथा इसकी गति भी पहले जैसे कानूनों की भांति हो जाएगी।
एडवोकेट अंकुर शर्मा, अध्यक्ष – इक्कजुट्ट जम्मू
क्या कहता है कानून?
अनुच्छेद 311(2) के अनुसार किसी भी सरकारी अधिकारी की बर्खास्तगी, हटाना या पद से अवनति नहीं की जा सकती। लेकिन जांच के बाद ऐसा संभव है। इस कानून का सब सेक्शन (सी) कहता है, यह वहां लागू नहीं होगा जहां राष्ट्रपति या राज्यपाल इससे संतुष्ट हों कि राज्य की सुरक्षा को देखते हुए ऐसी किसी जांच की आवश्यकता नहीं है।
स्पेशल टास्क फोर्स का गठन
राज्य प्रशासन ने स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया है। जिसका नेतृत्व राज्य पुलिस के महानिदेशक करेंगे। इसके अलावा इसमें सीआईडी, आईजी रैंक के अधिकारी, राज्य कानून व न्याय विभाग के अधिकारी हैं। ये सभी संशयित कर्मचारियों के प्रकरणों की शीघ्रता से जांच करके अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे।