परिसीमन आयोग ने जम्मू-कश्मीर केन्द्र शासित प्रदेश में जम्मू क्षेत्र के लिए 6 और कश्मीर क्षेत्र के लिए एक अतिरिक्त सीट का प्रस्ताव दिया है। साथ ही राज्य में 16 सीटों को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित करने का विचार है। इन सुझावों पर विरोध भी होना शुरु हो गया है और नेश्नल कांफ्रेंस का कहना है कि आयोग भाजपा के एजेंडे को ही आगे ले जा रहा है।
चुनाव आयोग के अनुसार सोमवार को न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में परिसीमन आयोग ने मुख्य चुनाव आयुक्त और राज्य चुनाव आयुक्त की उपस्थिति में सभी पांच सहयोगी सदस्यों से मुलाकात की। मुलाकात दिल्ली के अशोका होटल में हुई। सहयोगी सदस्य के तौर पर सांसद डॉ फारूक अब्दुल्ला, डॉ जितेंद्र सिंह, मोहम्मद अकबर लोन, हसनैन मसूदी, जुगल किशोर शर्मा आयोग की ओर से आयोजित दूसरी बैठक में शामिल हुए। पहली बैठक इसी साल 18 फरवरी में हुई थी।
सूत्रों के मुताबिक आयोग ने बैठक में नए परिसीमन के आधार पर सीटों में वृद्धि से जुड़ी जानकारी साझा की है। इसके अनुसार जम्मू क्षेत्र के लिए 6 और कश्मीर क्षेत्र के लिए एक अतिरिक्त सीट बढ़ाये जाने का प्रस्ताव है। वर्तमान में कश्मीर क्षेत्र में 46 और जम्मू क्षेत्र में 37 सीटें हैं। नए प्रस्ताव में इन्हें क्रमशः 47 और 43 किए जाने का की सिफारिश की गई है।
चुनाव आयोग के अनुसार बैठक में 31 दिसंबर तक अपने विचार, टिप्पणियां अथवा सुझाव प्रस्तुत करने के अनुरोध के साथ सभी सदस्यों के साथ जिलों के स्तर पर प्रस्तावित सीट आवंटन का विवरण देते हुए पेपर साझा किया गया है। साथ ही जम्मू-कश्मीर में पहली बार जनसंख्या के आधार पर 90 सीटों में से 9 (नौ) सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आवंटित करने का प्रस्ताव है। अनुसूचित जाति के लिए सात सीटें प्रस्तावित हैं।
राजनीतिक विरोध
बैठक में शामिल नेशनल कांफ्रेंस नेता एवं सांसद फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की आवाज सुनी जाए इसके लिए आज वह पहली बार बैठक में शामिल हुए। वह अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक कर इस बारे में अपने विचार साझा करेंगे। उन्होंने बताया कि आयोग ने किसी सीट को आरक्षित किया जा रहा है इस बारे में बैठक में जानकारी नहीं दी है।
फारुख के बेटे एवं नेशनल कांफ्रेंस के पार्टी के नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा कि यह बेहद निराशाजनक है। ऐसा लगता है कि आयोग ने आंकड़ों के बजाए भाजपा के राजनीतिक एजेंडे को अपनी सिफारिशों में शामिल किया है। वादा किए गए “वैज्ञानिक दृष्टिकोण” के विपरीत यह एक राजनीतिक दृष्टिकोण है। उन्होंने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग की मसौदा सिफारिश अस्वीकार्य है। 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार नव निर्मित विधानसभा क्षेत्रों का वितरण उचित नहीं है। इनमें 6 जम्मू और केवल 1 कश्मीर में को जा रही हैं।
केन्द्रीय मंत्री व राज्य से सांसद डॉ जितेन्द्र सिंह ने कहा कि आयोग एक दस्तावेज लेकर आया है जो निष्पक्ष रूप से तैयार किया गया है। सभी संबद्ध सदस्यों ने दलों की परवाह किए बिना परिसीमन आयोग द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की। नेशनल कांफ्रेंस के सदस्य भी आयोग द्वारा अपनाए गए मापदंडों से संतुष्ट थे।
नेशनल कांफ्रेंस के ही नेता हसनैन मसूदी का कहना है कि हमें जम्मू के लिए 6 और कश्मीर घाटी के लिए 1 अतिरिक्त सीटों का प्रस्ताव करने वाला एक मसौदा दिखाया गया था। यह प्रस्ताव पूरी तरह से अस्वीकार्य है और 2011 की जनगणना के अनुसार अनुपातहीन है।
ये भी पढ़ें – व्हाट ए इंटेलिजेन्स… पश्चिम रेलवे में जुड़ी तकनीकी की नई ताकत
बैठक में आयोग की ओर से दी गई जानकारी
बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त ने इस बात पर जोर दिया कि परिसीमन वैधानिक ढंग से और जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सभी निर्वाचन क्षेत्र के लिए जहां तक संभव हो भौगोलिक दायरों और विशेषताओं का ध्यान रखा जाना चाहिए। प्रशासनिक इकाइयों की मौजूदा सीमाएं, संचार की सुविधाएं और सार्वजनिक सुविधाएं भी इनमें शामिल हों।
आयोग ने समझाया कि सभी विषयों को ध्यान में रखते हुए परिसीमन आयोग ने सभी 20 जिलों को तीन व्यापक श्रेणियों ए, बी और सी में वर्गीकृत किया है, जिसमें जिलों के लिए निर्वाचन क्षेत्र आवंटन में प्रति विधानसभा क्षेत्र की औसत जनसंख्या का लगभग 10 प्रतिशत का मार्जिन दिया गया है ।
आयोग ने कुछ जिलों के लिए एक अतिरिक्त निर्वाचन क्षेत्र बनाने का प्रस्ताव किया है। इसका मकसद अंतरराष्ट्रीय सीमा पर दुर्गम परिस्थितियों के कारण सार्वजनिक सुविधाओं की कमी वाले भौगोलिक क्षेत्रों को प्रतिनिधित्व देना है।
आयोग के अनुसार बैठक में वरिष्ठ उप चुनाव आयुक्त चंद्र भूषण कुमार ने किए गए कार्यों पर विस्तार से प्रस्तुति दी। उन्होंने बताया कि केंद्र शासित प्रदेश में पिछले परिसीमन के बाद से जिलों की संख्या 12 से 20 और तहसीलों की संख्या 52 से 207 हो गई है। केंद्र शासित प्रदेश के जिलों में जनसंख्या घनत्व किश्तवाड़ में 29 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी से लेकर श्रीनगर में प्रति वर्ग किमी 3436 व्यक्ति हो गया है।
Join Our WhatsApp Community