राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने 3 अप्रैल को कश्मीरी नववर्ष “नवरेह” के एक कार्यक्रम में कहा कि कश्मीरी हिन्दुओं की संकल्पपूर्ति का समय अब निकट है। अबकी बार सबके बीच मिल-जुलकर ऐसा बसना है ताकि दोबारा कभी उजड़ना न पडे़।
डॉ. भागवत संजीवनी शारदा केंद्र के तत्वावधान में नवरेह उत्सव और शौर्य दिवस के कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कश्मीरी हिन्दुओं को इस पर्व की ढेर सारी शुभकामनाएं दीं और कहा कि आपके मध्य किसी उत्सव में मैं पहली बार नहीं आया हूं। 2011 में हेरत उत्सव में दिल्ली के कार्यक्रम में उपस्थित हुआ था। हमारा यह नवरेह समारोह एक नए पर्व और वर्ष का शुभारंभ है। यह संकल्प का भी दिवस है। उन्होंने कहा कि तीन दिन के इस कार्यक्रम में हम अपने पूर्वजों के व्यक्तित्व का स्मरण करते हैं, प्रेरणा लेते हैं, संकल्प लेते हैं और इसीलिए आपने इस उत्सव को शौर्य दिवस का नाम उचित ही दिया है।
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धैर्य रखने से कोई भी परिस्थिति पर पार पा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि अब हमें कुछ पराक्रम करना पड़ेगा। जीवन में सब प्रकार की परिस्थितियां आती हैं और जाती भी हैं। हमें अपने धैर्य एवं साहस के माध्यम से ही उस परिस्थिति पर पार पा सकते हैं। हम आज भी अपने ही देश में अपने घर में विस्थापित होने का दंश झेल रहे हैं और यह परिस्थिति तीन-चार दशकों से लगातार चल रही है, लेकिन इसके आखिरकार क्या उपाय हैं। पहला उपाय है कि हमें इस परिस्थिति पर विजय का संकल्प लेना है। जैसे कल आपने संकल्प लिया अगले वर्ष अपने घर में अपने प्रदेश में नवरेह मनाएंगे। यही सबसे बड़ी बात है।
इजरायल का दिया उदाहरण
उन्होंने कहा कि इजरायल के लोग भी बिखर गए थे। उन्होंने भी अपने त्योहार में संकल्प लिया और इस संकल्प को 1800 वर्ष जागृत रखा और फिर संकल्प के आधार पर एक स्वतंत्र इजरायल को स्थापित किया। पिछले 30 वर्षों में इजरायल सब बाधाओं को पार कर दुनिया में एक अग्रणी राष्ट्र बना है। वहीं हम विस्थापित होकर दुनियाभर में बिखरे तो जरूर हैं परंतु हमारे पास हमारा कश्मीर है, जो भारत वर्ष का अभिन्न अंग है।
फिल्म द कश्मीर फाइल्स पर कही ये बात
संघ प्रमुख डॉ. भागवत ने फिल्म द कश्मीर फाइल्स का जिक्र कर कहा कि भारतीय जनमानस ने भी कहा कि यह फिल्म सही है। फिल्म ने कश्मीरी हिन्दुओं के विस्थापन की विभीषिका का सत्य सामने लाया है। सरसंघचालक डॉ. भागवत ने कहा कि दुनिया में कहीं भी बसने को हिन्दू सक्षम हैं, मगर कश्मीरी हिन्दू अपनी भूमि पर बसना चाहते हैं। कश्मीरी पंडितों का घर वापसी का सकंल्प अगले नवरेह पर जरूर पूरा होगा।
पंडितों की वापसी का मार्ग प्रशस्त
अनुच्छेद 370 के निष्प्रभावी होने के बाद उनके घाटी वापसी का मार्ग प्रशस्त हो गया है। अगले वर्ष हम अपनी भूमि पर रहेंगे और इस संकल्प की पूर्ति के लिए अब बहुत दिन बाकी नहीं, शीघ्र यह संकल्प पूरा होने वाला है। संकल्प को पूरा करने तक सतत प्रयत्न करना पड़ता है। भले ही आज हम पूरी दुनियाभर में फैले हैं, लेकिन वापसी के संकल्प को पूरा करना बहुत जरूरी है।