Jharkhand:भाजपा के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने 1 अप्रैल को मुख्य सचिव अलका तिवारी को एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने शराब दुकानों के संचालन एवं प्रबन्धन के लिए चयनित दो एजेंसियों को ब्लैक लिस्ट करने की मांग की है।
बाबूलाल मरांडी ने पत्र में लिखा है कि झारखंड राज्य बिवरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (जेएसबीसीएल) की ओर से वर्ष 2022 से राज्य में शराब दुकान संचालित की जा रही हैं, जिसमें सात प्लेसमेंट एजेंसियां राज्य के विभिन्न जिलों में शराब दुकानों के संचालन एवं प्रबंधन के लिए लगभग 4500 मानव बल प्रदान कर रही हैं।
भाजपा का आरोप
मरांडी ने कहा है कि जेएसबीसीएल की ओर से वर्ष 2022 में राज्य के अन्तर्गत दुकानों के संचालन एवं प्रबन्ध के लिए मानव बल की आपूर्त्ति के लिए निविदा निकालकर विभिन्न 7 एजेंसियों का चयन किया गया, लेकिन सबसे आश्चर्य की बात यह है कि दो प्लेसमेंट एजेंसियां मार्सन इनोवेटिव सिक्योरिटी प्राइवेट लिमिटेड और विजन हॉस्पिटालिटी सर्विस एंड कंसलटेंट प्राइवेट लिमिटेड जिन्हें क्रमशः हजारीबाग एवं धनबाद जिला में मानव बल आपूर्त्ति के लिए चयन किया गया। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि इन्होंने एग्रीमेंट करते समय फर्जी बैंक गारंटी जमा कर कार्यादेश प्राप्त कर लिया। विभागीय सचिव को इस फर्जीवाड़े के बारे में बताया गया। इसके बावजूद एजेंसियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
जमा बैंक गारंटी फर्जी
मरांडी ने पत्र में कहा कि शिकायतकर्ता ने जो साक्ष्य उपलब्ध कराया है, उसमें पंजाब एवं सिंध बैंक, गीता कॉलोनी शाखा नई दिल्ली की ओर से जेएसबीसीएल को 31 जनवरी 2024 को पत्र लिखकर सूचित किया गया है कि विजन हॉस्पीटालिटी सर्विस एंड कंसलटेंट प्राइवेट लिमिटेड की ओर से जमा बैंक गारंटी फर्जी है। इसी तरह बंधन बैंक कोलकाता की ओर से जेएसबीसीएल को 02 मार्च, 2024 को पत्र लिखकर सूचित किया गया कि मार्सन इनोवेटिव सिक्योरिटी प्राइवेट लिमिटेड, जिसे हजारीबाग जिला में मैन पावर का कार्य मिला है, इसका बैंक गारंटी फर्जी है। इसके बावजूद जेएसबीसीएल की ओर से न ही इसकी जांच कराई गई और न ही कोई कार्रवाई की गई। उन्होंने कहा कि अधिकारियों की ओर लीपापोती कर एजेंसियों को काम करने दिया गया। इतने बड़े किए गए फर्जीवाड़े की जांच कराकर आरोपित एजेंसियों को काली सूची में डालना चाहिए था और और एफआईआर करना चाहिए था।
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आरोपों की पुष्टि का दावा
उन्होंने कहा कि इन दो एजेंसियों की ओर से दुकान में बिक्री का लगभग 25 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जेएसबीसीएल में जमा नहीं कराई गई। जेएसबीसीएल ने भी इसे स्वीकार किया है। इन सब आरोपों की पुष्टि के बावजूद इन दो एजेंसियों पर न ही एफआईआर की गई और न ही काली सूची में डाला गया। इसके लिए विभाग भी जिम्मेदार है। उन्होंने इन दोनों एजेंसियों पर लगे गंभीर आरोपों की जांच कराते हुए एफआईआर करने एवं इन्हें ब्लैक लिस्ट करने की मांग की। साथ ही जिम्मेदार अधिकारियों को निलंबित करने की कार्रवाई की भी मांग की।