झारखंड सरकार राजस्व बढ़ाने के लिए बनाएगी नई शराब नीति! ‘इतने’ करोड़ राजस्व वृद्धि का लक्ष्य

झारखंड में अप्रैल 2022 से शराब की खुदरा बिक्री की व्यवस्था बदलेगी।  झारखंड खुदरा शराब विक्रेता संघ ने सरकार के इस निर्णय का विरोध किया है।

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झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में प्रोजेक्ट भवन सभागार में एक बैठक होने वाली है। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए जाएंगे। नई शराब नीति पर भी मुहर लगेगी। एक ही कंपनी जेएसबीसीएल को पूरे राज्य में शराब की खुदरा बिक्री करने का अधिकार दिया जाएगा।

बताया जाता है कि झारखंड में अप्रैल से शराब की खुदरा बिक्री की व्यवस्था बदलेगी। नई उत्पाद नीति के अनुसार अब एक ही निजी एजेंसी पूरे राज्य में शराब की दुकानें खोलेगी। पांचों प्रमंडलों में उसका अपना गोदाम होगा। एजेंसी खुद शराब मंगाएगी और बेचेगी। दुकान में एजेंसी के ही लोग काम करेंगे। हालांकि, एजेंसी सरकार के नियंत्रण में काम करेगी। अभी निजी दुकानदार परमिट के माध्यम से शराब मंगाते हैं। नई उत्पाद नीति पर विभागीय मंत्री जगरनाथ महतो ने सहमति दे दी है। उन्होंने कहा कि 24 फरवरी को होने वाली कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगेगी।

इन राज्यों की तर्ज पर बनेगी नीति
इस कंपनी ने छत्तीसगढ़, केरल और तमिलनाडु की तर्ज पर निजी एजेंसी द्वारा दुकान चलाने का सुझाव दिया है। कंपनी का कहना है कि इससे शराब की कीमत बढ़ाए बिना अभी मिल रहे 1900 करोड़ की जगह 2500 करोड़ का राजस्व मिलेगा। हालांकि, इंफ्रास्ट्रक्चर पर होने वाला खर्च राज्य सरकार को वहन करना होगा। झारखंड खुदरा शराब विक्रेता संघ ने कहा कि नई उत्पाद नीति लागू होने के बाद नामी ब्रांड की शराब महंगी हो जाएगी।

अवैध शराब बनाने पर लगेगी रोक
नई नीति में अवैध शराब बनाने और शराब की चोरी रोकने पर भी जोर रहेगा। जितनी शराब बनेगी, जितनी बोतल बाजार में आएगी, सभी की इलेक्ट्रॉनिक ट्रेसिंग होगी। रिटेलरों तक शराब पहुंचाने के लिए इस्तेमाल होने वाली गाड़ी की भी जीपीएस से ट्रैकिंग की जाएगी। इस प्रस्ताव में अवैध शराब का भंडारण करने के दोषियों को अधिक सजा देने की सिफारिश की गई है। देशी शराब अब केन पैक में बेचने और इस पर ट्रेडमार्क अंकित करने का भी प्रस्ताव है।

राजस्व बढ़ाने का लक्ष्य
सीएसएमसीएल ने सरकार को जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें दावा किया है कि शराब की कीमत बढ़ाए बिना भी सरकार को वर्तमान में मिल रहे 1900 करोड़ के राजस्व को 2500 करोड़ रुपये तक पहुंचाएंगे। उसने छत्तीसगढ़ की तर्ज पर पांचों प्रमंडल में पांच गोदाम बनाने की सलाह दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि शराब व्यवसाय के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करना होगा। इस पर आने वाला खर्च राज्य सरकार को वहन करना होगा।

 झारखंड खुदरा शराब विक्रेता संघ ने किया विरोध
नई नीति से शराब के लोकप्रिय ब्रांड महंगे होंगे। क्योंकि, कंपनी अपनी सुविधा के मुताबिक शराब मंगाएगी। इससे झारखंड, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में बनने वाले साधारण ब्रांड की शराब सस्ती हो सकती है लेकिन लोकप्रिय ब्रांड की शराब महंगी हो जाएगी। उधर, झारखंड बार एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ने कहा कि अगर लाइसेंस शुल्क बढ़ा तो एक अप्रैल से बार बंद कर देंगे।

 उत्पाद नीति में बदलाव
झारखंड स्टेट बिवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (जेएसबीसीएल ) का एकाधिकार खत्म कर दिया गया था। उसकी जगह निजी कंपनियों और व्यवसायियों को शराब की थोक ब्रिक्री के लिए लाइसेंस दिया गया। शराब की खुदरा दुकानें लॉटरी के माध्यम से आवंटित की गई हैं। राज्य में अभी करीब 1428 दुकानें हैं। इसके पहले रघुवर सरकार के कार्यकाल में सरकार खुद शराब बेचती थी। सरकारी की दुकानें थीं। इन सबका संचालन (जेएसबीसीएल) के माध्यम से होता था लेकिन सरकार ने यह कहते हुए व्यवस्था बदल दी कि इससे राजस्व में घाटा हो रहा है। अब छत्तीसगढ़ की तर्ज पर फिर यहां नई उत्पाद नीति तैयार हो रही है।

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