अपने पिता की राह पर जस्टिन ट्रुडो, कहीं सरक न जाए पीएम की कुर्सी?

ऐसा लगता है कि जस्टिन ट्रुडो भी अपने पिता की राह पर चल पड़े हैं। जबसे वे वहां के प्रधानमंत्री बने हैं, तब से कनाडा में भारत विरोधी गतिविधियां काफी बढ़ गई है और खालिस्तानी आतंकियों का मनोबल काफी बढ़ गया है।

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पिछले कुछ सालों में भारत और कनाडा के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। दरअस्ल 18 सितंबर को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए भारत को जिम्मेदार ठहरा दिया। उन्होंने कहा कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत के एजेंट का हाथ हो सकता है। बात यही नहीं खत्म हुई, बल्कि कनाडाई सरकार ने भारतीय राजनयिक को देश से निकलने का आदेश जारी कर दिया। उसके बाद भारत ने भी करारा जवाब दिया। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर ट्रुडो के आरोपों को सिरे से गलत करार दिया।

इसके साथ ही विदेश मंत्रालय ने कनाडा के वरिष्ठ राजनयिक को पांच दिनों में देश छोड़ने का आदेश जारी कर दिया। इन घटनाक्रमों को देखकर ऐसा लगता है कि भारत और कनाडा के बीच खटास पहले के दौर के जैसा एक बार फिर लौट आया है। जस्टिन ट्रुडो के कामकाज को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि इस तरह की उनके कदम उनकी पीएम की कुर्सी के लिए घातक साबित हो सकते हैं।

जस्टिन ट्रुडो के पिता ने दिया खालिस्तानियों को समर्थन
दरअस्ल 1980 के दशक में जब जस्टिन ट्रुडो के पिता पियरे ट्रुडो कनाडा के प्रधानमंत्री थे, तब उन्होंने खालिस्तान समर्थकों को इसी तरह की शह दी थी। इस कारण बड़ी संख्या में लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। 1980 के दशक से पहले भारतीय या सिख को कनाडा में इंटर करना भी आसान नहीं था। लेकिन भारत के पोखरण परमाणु परीक्षण और पाकिस्तान तथा भारत के बीच बढ़ती दुश्मनी के कारण कनाडा खालिस्तानियों का समर्थक बन गया।

खालिस्तानियों को समर्थन देना बन गई मजबूरी
दरअस्ल ट्रू़डो पियरे के लिए खालिस्तान समर्थक सिख वोट बैंक बनते चले गए। इस कारण उनकी खालिस्तानियों को समर्थन देना उनकी मजबूरी बनती चली गई। इस कारण खालिस्तानियों का हौसला इतना बढ़ गया कि उन्होंने भारत के विरोध में कनाडा में अपना एजेंडा तैयार कर लिया। एक भारतीय मूल के नेता उज्जव दोसांझ ने उनके एजेंडे का विरोध किया। इससे खालिस्तान समर्थक बेहद नाराज हो गए और उन्होंने दोसांझ की जमकर पिटाई कर दी।

एयर इंडिया के विमान में रखा बम
बात यहीं खत्म नहीं हुई। उनकी हिम्मत बढ़ती गई और 23 जून 1985 को खालिस्तानियों ने एयर इंडिया के विमान में बम रख दिया। इस हादसे में 329 यात्रियों की जान चली गई। जांच एजेंसियों का दावा है कि विमान में बम रखे जाने के षड्यंत्र के बारे में कनाडा पुलिस और सरकार को पता था। कनाडा के एक अपराधी गैरी बूडराओ ने रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस को बताया था, कि कुछ खालिस्तान आतंकियों ने उससे विमान में बम रखने के लिए कहा था। लेकिन पुलिस ने इग्नोर किया और परिणाम ये हुआ कि 329 निर्दोष लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।

जस्टिन ट्रुडो के प्रधानमंत्री बनने के बाद से भारत विरोधी गतिविधियां बढ़ीं
ऐसा लगता है कि जस्टिन ट्रुडो भी अपने पिता की राह पर चल पड़े हैं। जबसे वे वहां के प्रधानमंत्री बने हैं, तब से कनाडा में भारत विरोधी गतिविधियां काफी बढ़ गई है और खालिस्तानी आतंकियों का मनोबल काफी बढ़ गया है। भारतवंशियों पर हमले, दूतावास पर हमले, हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ ट्रुडो की इस नीति का परिणाम है।

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